यह इस्लामिक मुल्क बन रहा भारत का दोस्त, पाकिस्तान को लगेगा तगड़ा झटका

अफगानिस्तान के मसले पर भारत का सबसे अहम सहयोगी इस्लामिक देश ईरान नजर आता है। दरअसल ईरान के भी पाकिस्तान से बहुत अच्छे संबंध नहीं है और वह नहीं चाहेगा कि उसकी भूमिका अफगानिस्तान में मजबूत हो।

यह इस्लामिक मुल्क बन रहा भारत का दोस्त, पाकिस्तान को लगेगा तगड़ा झटका

india and iran

Modified Date: November 29, 2022 / 08:31 pm IST
Published Date: December 1, 2021 2:41 pm IST

नईदिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान राज आने के बाद बीते 10 नवंबर को दिल्ली में हुई समिट के बाद चीजें बदल रही है वे पाकिस्तान के लिए किसी झटके से कम नहीं है। इस समिट में भारत ने रूस, ईरान समेत 8 देशों को आमंत्रित किया था और इस बात पर सभी ने सहमति जताई कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल दूसरे देशों के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए। अफगानिस्तान के मसले पर भारत का सबसे अहम सहयोगी इस्लामिक देश ईरान नजर आता है। दरअसल ईरान के भी पाकिस्तान से बहुत अच्छे संबंध नहीं है और वह नहीं चाहेगा कि उसकी भूमिका अफगानिस्तान में मजबूत हो।

read more: जूनियर हॉकी विश्व कप : स्पेन को हराकर छह बार की चैम्पियन जर्मनी सेमीफाइनल में
इसके अलावा अफगानिस्तान से पैदा हो रहे इस्लामिक स्टेट के खतरे से निपटना भी जरूरी है। यह आतंकी संगठन भारत के अलावा ईरान की सबसे बड़ी चिंता है। इसकी वजह यह है कि सुन्नी कट्टरपंथी विचारधारा को मानने वाला इस्लामिक स्टेट शिया मुल्क ईरान को भी उतना ही दुश्मन समझता है, जितना भारत को। ईरान और पाकिस्तान भले ही ऊपरी तौर पर इस्लामिक मुल्क होने के नाते करीबी नजर आते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव देखने को मिलता है। इसके अलावा पाकिस्तान की आईएसआई और ईरान की रिवॉलूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के बीच अक्सर भूरणनीतिक प्रतिद्वंद्विता रहती है।

read more: Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel के आज के कार्यक्रम | देखिए पूरा Schedule | 01 December 2021
एक तरफ पाकिस्तान ईरान के खिलाफ जैश-अल-अदल और जंदुल्लाह जैसे संगठनों का इस्तेमाल करता है तो पाकिस्तान में बलोच विद्रोहियों को बढ़ावा देने में ईरान का हाथ बताया जाता रहा है। पाकिस्तान नहीं चाहता कि ईरान की भूमिका अफगानिस्तान में मजबूत हो। इसी तरह ईरान भी इस मुल्क में पाकिस्तान का रोल कमजोर ही देखना चाहता है। हाल में तालिबान के पाकिस्तान पर काबिज होने और फिर 5 सितंबर को आईएसआई के चीफ फैज हमीद के काबुल दौरे से ईरान भी सतर्क है। खासतौर पर पंजशीर वैली में विद्रोहियों के खिलाफ तालिबान से आईएसआई की मिलीभगत की खबरों ने ईरान में गुस्सा पैदा किया है। इसकी वजह यह है कि पंजशीर वैली में रहने वाले लोगों की बड़ी संख्या ईरानी मूल के लोगों की भी है।

 ⁠

read more: Raipur Murder Mystery Solved: जीजा ने कराई साली की हत्या,ऐश्वर्या विंडमिल के पास नाले में मिला था शव
इसके अलावा तालिबान की बनाई सरकार में फारसी और दारी बोलने वाले अल्पसंख्यक समूहों को जगह न मिलना भी ईरान को झटका देने वाला था। ऐसे में ईरान ने अफगानिस्तान में अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए भारत को अहम साझीदार मानते हुए कदम बढ़ाए हैं। इस तरह आतंकवाद, कट्टरता और सुन्नी सांप्रदायिकता ऐसे मसले हैं, जिन पर भारत और ईरान की साझा चिंताएं हैं और दोनों देश मिलकर अफगानिस्तान में अपना कद बढ़ाने पर काम कर सकते हैं।

इस तरह के खबरों के लिए हमारे WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने CLick करें !


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com