सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा “बंद अध्याय” है : माकपा
सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा “बंद अध्याय” है : माकपा
त्रिशूर (केरल), दो सितंबर (भाषा) केरल की सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने मंगलवार को कहा कि वह धार्मिक श्रद्धालुओं के साथ खड़ी है। पार्टी ने सबरीमला मंदिर में मासिक धर्म आयु वर्ग वाली महिलाओं को प्रवेश देने के विवादास्पद मुद्दे को अब ‘‘बंद मामला’’ बताया।
माकपा के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) द्वारा आयोजित किया जा रहा वैश्विक अयप्पा संगमम, दुनिया भर के अयप्पा भक्तों के हितों के अनुरूप है।
टीडीबी अध्यक्ष ने कहा कि यह कार्यक्रम दुनिया के विभिन्न हिस्सों के लोगों की मांग को ध्यान में रखकर आयोजित किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित पहल को देश और भगवान अयप्पा के भक्तों की मान्यता मिली है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता राजनीतिक सत्ता हासिल करने के लिए धर्म और आस्था का इस्तेमाल है।
गोविंदन ने कहा, ‘‘ऐसे सांप्रदायिक लोग (ही) अयप्पा संगमम जैसी पहल का विरोध कर रहे हैं, न कि आस्था रखने वाले। सांप्रदायिक लोग ही धर्म को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करते हैं।’’
वह 20 सितंबर के कार्यक्रम के खिलाफ राजनीतिक विरोधियों द्वारा की गई आलोचना से संबंधित सवालों का जवाब दे रहे थे।
वामपंथी नेता ने कहा, ‘‘माकपा ऐसे सांप्रदायिक तत्वों द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार का समर्थन नहीं करना चाहती। हम मान्यता रखने वालों के साथ हैं- माकपा और वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार दोनों।’’
जब पत्रकारों ने सबरीमाला में मासिक धर्म आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे के बारे में पूछा तो गोविंदन ने कहा कि वह इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते।
उन्होंने कहा, ‘‘यह अदालत का फैसला था और उसके बाद के मुद्दे थे। यह एक बंद अध्याय है। इस समय इस बारे में बात करने की कोई आवश्यकता नहीं है। मैं अभी इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा।’’
वरिष्ठ नेता ने आगे कहा कि माकपा ने कभी आस्था या आस्थावानों के खिलाफ कोई रुख नहीं अपनाया है।
वामपंथी नेता ने कहा, ‘‘हमने (आस्थावानों के खिलाफ) ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है…हम ऐसा नहीं कर रहे हैं…और न ही (ऐसा फैसला) लेंगे।’’
माकपा के राज्य सचिव की टिप्पणी त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड के अध्यक्ष पी.एस. प्रशांत के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि मंदिर निकाय सबरीमला मंदिर के अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के बारे में उच्चतम न्यायालय को समझाने का प्रयास करेगा।
प्रशांत ने एक सवाल के जवाब में कहा था, ‘‘सबरीमला के रीति-रिवाजों और परंपराओं के बारे में हर कोई जानता है। हम इस बारे में उच्चतम न्यायालय को समझाने की कोशिश करेंगे। हमें कानूनी विशेषज्ञों से सलाह लेनी होगी और इस संबंध में हम जो भी कर सकते हैं, करेंगे।’’
भाषा प्रशांत सुरेश
सुरेश

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