बीमा क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना आवश्यक : तेदेपा सांसद
बीमा क्षेत्र में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना आवश्यक : तेदेपा सांसद
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) सांसद जी एम हरीश बालयोगी ने मंगलवार को कहा कि बीमा क्षेत्र में शत-प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिलेंगे, लेकिन सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
उन्होंने लोकसभा में ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ पर चर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही।
शिवसेना सांसद रवींद्र वायकर ने कहा कि इस विधेयक से बीमा क्षेत्र में धोखाधड़ी पर अंकुश लगेगा तथा आम लोगों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को और ज्यादा अवसर देगा तथा उसे निजी कंपनियों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।
भाजपा सांसद कमलजीत सहरावत ने कहा कि इस बीमा विधेयक से भारत के एक सशक्त और विकसित राष्ट्र बनने की बुनियाद मजबूत होगी।
द्रमुक सांसद डी एम कथीर आनंद ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के जरिये सामाजिक सुरक्षा को बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि 100 प्रतिशत एफडीआई का मतलब यह होगा कि प्रीमियम से लेकर सबकुछ विदेशी कंपनियों द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
समाजवादी पार्टी (सपा) के राजीव राय ने आरोप लगाया कि यह विधेयक ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के खिलाफ है तथा यह एक सोची-समझी साजिश है।
राष्ट्रीय जनता दल के अभय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह विधेयक बीमा के बाजारीकरण के लिए लाया गया है।
उन्होंने विधेयक को संसदीय समिति के पास भेजे जाने की मांग की।
भाजपा के मन्नालाल रावत और दर्शन सिंह चौधरी ने जहां इसे सामाजिक और आर्थिक महत्व का विधेयक बताया, वहीं वाईएसआरसीपी के वाई. एस. अविनाश रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का समर्थन करती है, बशर्ते यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि आम लोगों के ऊपर इसके प्रावधानों का नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
माकपा के के. राधाकृष्णन ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे वापस लेने की सरकार से मांग की। उन्होंने कहा कि एलआईसी और जीआईसी ने सामाजिक संरक्षण में अहम भूमिका निभाई, लेकिन नये विधेयक से इनका प्रभाव कम होगा।
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के ईटी मोहम्मद बशीर, भाकपा के वी. सेल्वाराज, कांग्रेस के वी.वैथिलिंगम, केरल कांग्रेस के एडवोकेट के.फ्रांसीस जॉर्ज और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एन. के. प्रेमचंद्रन ने विधेयक का विरोध किया।
प्रेमचंद्रन ने कहा कि बीमा क्षेत्र में शत-प्रतिशत एफडीआई से सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी ‘एलआईसी’ के एजेंटों पर बुरा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को एलआईसी और जीआईसी को बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल, निर्दलीय विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल, निर्दलीय अब्दुल रशीद और भारत आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत, निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर तथा भाकपा (माले) लिबरेशन के सुदामा प्रसाद ने विधेयक का विरोध किया।
निर्दलीय उमेशभाई पटेल ने सरकार के इस कदम की सराहना की। उन्होंने, हालांकि यह भी कहा कि इस विधेयक में ‘कंपोजिट लाइसेंस’ का प्रावधान होना चाहिए था।
भाषा
हक सुभाष सुरेश
सुरेश

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