It was difficult to cremate people in flood-hit Silchar

असम के बाढ़ प्रभावित इलाकों में तेजी से बढ़ रहा मौत का आंकड़ा, अब मृतकों का अंतिम संस्कार करना हुआ मुश्किल

असम के बाढ़ प्रभावित इलाकों में तेजी से बढ़ रहा मौत का आंकड़ा! It was difficult to cremate people in flood-hit Silchar

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:59 PM IST, Published Date : June 28, 2022/5:39 pm IST

सिलचर/हैलाकांडी: difficult to cremate people असम का सिलचर शहर एक सप्ताह से अधिक समय से भयंकर बाढ़ से जूझ रहा है और ऐसे में श्मशान घाट समेत हर जगह पानी भर जाने के कारण लोगों को मृतकों का दाह-संस्कार करने में काफी समस्या हो रही है। बाढ़ के दौरान अपने परिजन को खोने वाले परिवार पानी भरा होने के कारण शवों को श्मशान नहीं ले जा पा रहे और कछार जिला प्रशासन भी उन तक नहीं पहुंच पा रहा। अधिकारियों ने बताया कि बेतकुंडी में बांध टूटने के बाद पानी घुस आने से सिलचर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। आरोप है कि कुछ बदमाशों ने 19 जून को यह बांध तोड़ दिया था। उन्होंने बताया कि सिलचर में करीब तीन लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।

Read More: पीएम मोदी का यूएई, राष्ट्रपति शेख मोहम्मद ने गले लगा कर किया स्वागत 

difficult to cremate people सिलचर के पास चुतरासंगन गांव के निवासी निरेन दास की 24 जून को मौत हो गई थी, लेकिन बाढ़ के कारण करीब दो दिन तक उनका अंतिम संस्कार नहीं हो सका। इसके बाद एक कॉलेज के शिक्षक रामेंद्र दास सहायता के लिए आगे आए और शोक संतप्त परिवार के कुछ सदस्यों के साथ मिलकर शव को नाव के जरिए लेकर गए। दास को 15 किलोमीटर तक नाव चलाने के बाद सिलचर शहर के बाहर बाबरबाजार में एक सूखी जगह मिली, जहां दास का अंतिम संस्कार किया गया। हाल में सिलचर की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें कुछ लोग गले तक पहुंच चुके बाढ़ के पानी में एक अरथी को ले जाते दिख रहे हैं।

Read More: पति ने बच्चों के सामने ही पत्नी के साथ किया ये काम, देखकर बच्चों ने बंद कर ली आंखें

इसके अलावा, पिछले सप्ताह स्थानीय स्वयंसेवकों को शहर में एक महिला का शव तैरता मिला। उन्हें शव के साथ एक पत्र भी मिला, जिसमें अनुरोध किया गया था कि जिसे भी यह शव मिले, वह इसका अंतिम संस्कार कर दे। ऐसा बताया जा रहा है कि यह पत्र महिला के बेटे ने लिखा था, जो रंगीरखरी क्षेत्र का रहने वाला है। पत्र में बेटे ने लिखा था कि वह अपनी मां के शव को बाढ़ के कारण श्मशान नहीं ले जा पा रहा है। महिला के शव का स्थानीय स्वयंसेवकों ने अंतिम संस्कार किया। कस्बे के मुख्य श्मशान घाट की देख रेख करने वाले दिलीप चक्रवर्ती ने बताया कि पूरा इलाका पानी में डूब गया है और उन्हें खुद सुरक्षित स्थान पर जाना पड़ा है।

Read More: छत्तीसगढ़ में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ्तार, आज मिले 186 नए संक्रमित, जानिए जिलेवार स्थिति 

उन्होंने कहा, ‘‘पूरे इलाके के पानी में डूब जाने के कारण किसी शव का संस्कार करना संभव नहीं है।’’ स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन और निर्वाचित प्रतिनिधि बाढ़ में फंसे हुए लोगों की समस्याओं का समाधान करने में विफल रहे हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को स्थिति की समीक्षा के लिए शहर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि फंसे हुए सभी लोगों तक पहुंचना संभव नहीं है। ऐसे में कई गैर सरकारी संगठनों के सदस्य और अन्य लोग बीमारों एवं वरिष्ठ नागरिकों की मदद करने के लिए आगे आए हैं और वे मृतकों के दाह संस्कार में भी मदद कर रहे हैं।

Read More: उदयपुर में युवक की गला काटकर हत्या के बाद यूपी में अलर्ट जारी 

वन विभाग दाह संस्कार के लिए कुछ लकड़ियां निःशुल्क उपलब्ध करा रहा है और सिलचर नगर बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष बिजेंद्र प्रसाद सिंह ने बाढ़ का पानी कम होने के बाद नागरिक कार्यालय से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कराने की जिम्मेदारी ली है। राहत एवं बचाव कार्यों में लगे एक स्वयंसेवक ने कहा कि कई गैर सरकारी संगठन शवों का सूखी जगह पर अंतिम संस्कार करने में मदद के लिए आगे आए हैं, लेकिन इन स्थानों तक पहुंचना बहुत महंगा है क्योंकि नावों के मालिक लगभग छह किलोमीटर की यात्रा के लिए न्यूनतम 3,000 रुपये मांग रहे हैं। इस बीच, उपायुक्त कीर्ति जल्ली ने कहा कि प्रशासन निवासियों की विभिन्न समस्याओं को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है और उसने व्यापारियों को चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति इस संकट के दौरान अधिक दर वसूलता पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

Read More: समुद्र में गिरा हेलीकॉप्टर, दो पायलट समेत 9 लोग थे सवार, नौसेना, तटरक्षक ने चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन 

 
Flowers