कांग्रेस ने चली ‘चाल’ और जाल में फंस गए धनखड़ ! ये है उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे की असली वजह ?

Jagdeep Dhankhar Resignation: विपक्ष अब जगदीप धनखड़ को ‘संविधान के रक्षक’ के तौर पर पेश करने लगा है याद दिला दे कि यह वही विपक्ष है जो कि कुछ समय पहले तक धनखड़ को ‘सरकार की कठपुतली’ कहता था।

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  • Publish Date - July 23, 2025 / 08:47 PM IST,
    Updated On - July 23, 2025 / 09:49 PM IST

Jagdeep Dhankhar Resignation, image source: ANI

HIGHLIGHTS
  • जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा ने किया हैरान
  • पूरे प्रकरण में दफ़्न हैं कई राज - सूत्र
  • कांग्रेस ने 2 जजों पर महाभियोग दिया था प्रस्ताव, जो इस्तीफे की वजह बना- सूत्र

Jagdeep Dhankhar Resignation : वर्तमान समय में राजनीति एक ऐसा खेल हो चुका है कि देश में संकट के समय भी मौका तलाशने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ जाती। एक के लिए संकट का समय दूसरे के लिए अवसर का वक्त बन जाता है। यह बात हम इसलिए कह रहे हैं क्यों कि जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे से ऐसा ही एक मौका विपक्ष को हाथ लगा है।

संसद में अब जगदीप धनखड़ का इस्तीफा बड़ा मुद्दा बन रहा है। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों को इस घटनाक्रम के बाद केंद्र सरकार पर हमला करने का मौका मिलेगा। विपक्ष अब जगदीप धनखड़ को ‘संविधान के रक्षक’ के तौर पर पेश करने लगा है याद दिला दे कि यह वही विपक्ष है जो कि कुछ समय पहले तक धनखड़ को ‘सरकार की कठपुतली’ कहता था।

पूरे मामले में दफ़्न हैं कई राज

Jagdeep Dhankhar Resignation कांग्रेस के साथ ही राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और समाजवादी पार्टी ने उनके एकाएक इस्तीफे पर सवाल उठा रहे हैं। अब अटकलें यह भी है कि कहीं उन्हें मजबूरन इस्तीफा तो नहीं देना पड़ा? सूत्रों के अनुसार, इस पूरे मामले में कई राज दफ़्न हैं, जो धीरे-धीरे उजागर हो सकते हैं।

सूत्र बताते हैं कि मंगलवार को दिल्ली में विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ की बैठक हुई, लेकिन इसमें ममता की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भाग नहीं लिया, इसके बावजूद कि उनके सांसद दिल्ली में ही मौजूद थे। इसका बड़ा कारण जगदीप धनखड़ के प्रति तृणमूल की पुरानी नाराज़गी बताई जा रही है।

कहा जा रहा है कि टीएमसी जगदीप धनखड़ के खिलाफ ही महाभियोग लाने को तैयार थी, लेकिन दो कांग्रेस सांसदों के दस्तखत दोहराव की वजह से प्रस्ताव ही खारिज हो गया था। तृणमूल सूत्रों के दावे के अनुसार यह सब जानबूझकर किया गया, ताकि धनखड़ को महाभियोग से बचाया जा सके। टीएमसी इस बात से खासा नाराज़ है और अब उसका कांग्रेस विश्वास नहीं रहा।

कांग्रेस लाना चाहती थी दो महाभियोग प्रस्ताव

बड़ी खबर यह भी है कि कांग्रेस दो महाभियोग प्रस्ताव लाना चाहती थी। पहला जस्टिस वर्मा के खिलाफ और दूसरा जस्टिस यादव के खिलाफ। यह भी कहा जा रहा है कि जगदीप धनखड़ ने पार्टी नेताओं को भरोसा दिलाया था कि वे इस पर गौर करेंगे, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया था। सूत्रों के अनुसार, सरकार को खड़गे और केजरीवाल की मुलाकातों से कोई बहुत चिंता नहीं थी, लेकिन जब धनखड़ ने दोहरी महाभियोग प्रक्रिया में दिलचस्पी ली, तो सरकार अलर्ट हो गई।

दरअसल, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की योजना लोकसभा और राज्यसभा दोनों में एक साथ मतदान कराने की थी। जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग को भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी लड़ाई के तौर पर पेश किया जाना था, जिसका क्रेडिट विपक्ष को सरकार बिल्कुल नहीं देना चाह रही थी।

जबकि कांग्रेस, आरजेडी, एसपी और टीएमसी इस मुद्दे पर एकजुट दिखाई दे रहा है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस अभी भी कांग्रेस से नाराज़ है। टीएमसी का मानना है कि कांग्रेस ने जानबूझकर महाभियोग प्रस्ताव को फेल करने की रणनीति बनाई और उस व्यक्ति के साथ खड़ी हो गई जिसे वह सालों से ‘सरकारी आदमी’ कहती रही है।

धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस क्यों बहा रही आंसू?

धनखड़ के इस्तीफे पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश, शिवसेना उबाठा की प्रियंका चतुर्वेदी और आरजेडी तेजस्वी यादव जैसे विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। विपक्ष का मानना है कि धनखड़ सरकार के मुकाबले ‘छोटे दुश्मन’ हैं। असली निशाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। कांग्रेस का मक़सद यह साबित करना है कि बीजेपी अपने भीतर किसी तरह की असहमति बर्दाश्त नहीं करती। पार्टी पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का उदाहरण देकर इसे साबित करने का प्रयास कर रही है।

कांग्रेस की रणनीति स्पष्ट है। कांग्रेस चाहती है कि अगर धनखड़ अब सरकार के खिलाफ कुछ बोलते हैं, तो विपक्ष को एक बड़ा हथियार मिल जाएगा। हालांकि, सूत्रों के अनुसार सरकार भी इस चाल को समझ चुकी है और उसने इसका जवाब देने को पूरी तरह से तैयार है।

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क्या जगदीप धनखड़ ने सच में उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है?

उत्तर: हाँ, सूत्रों और राजनीतिक रिपोर्टों के अनुसार, जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि आधिकारिक पुष्टि या राष्ट्रपति भवन द्वारा अधिसूचना आना अभी बाकी हो सकता है। विपक्ष इसे राजनीतिक असहमति या दबाव से जोड़कर देख रहा है।

इस्तीफे के पीछे की असली वजह क्या है?

उत्तर: इस मुद्दे पर कई कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि धनखड़ ने महाभियोग प्रस्तावों में रुचि दिखाई थी—विशेष रूप से कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित जस्टिस वर्मा और जस्टिस यादव के खिलाफ। यह बात सरकार को नागवार गुज़री और माना जा रहा है कि इसी असहमति के चलते उन पर इस्तीफे का दबाव पड़ा।

क्या कांग्रेस और विपक्ष ने यह चाल पहले से सोची थी?

उत्तर: कांग्रेस ने राजनीतिक रूप से एक रणनीतिक 'चाल' चली है। विपक्ष अब धनखड़ को ‘संविधान के रक्षक’ के रूप में प्रस्तुत कर रहा है, जबकि कुछ समय पहले तक वही उन्हें ‘सरकार की कठपुतली’ बता रहा था। कांग्रेस की योजना यह भी मानी जा रही है कि अगर धनखड़ सरकार के खिलाफ कोई बयान दें, तो विपक्ष को एक नया हथियार मिल जाएगा।

इस घटनाक्रम में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की क्या भूमिका रही?

उत्तर: TMC की नाराज़गी पुरानी है। उन्होंने पहले भी धनखड़ के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की कोशिश की थी, लेकिन दो कांग्रेस सांसदों की कथित ‘गलती’ से वह प्रस्ताव खारिज हो गया। टीएमसी इसे कांग्रेस की जानबूझकर की गई साजिश मान रही है और इसी वजह से INDIA गठबंधन में दरार भी दिख रही है।

इस घटनाक्रम का अगला राजनीतिक असर क्या हो सकता है?

उत्तर: अगर धनखड़ सरकार के खिलाफ मुखर होते हैं, तो विपक्ष उन्हें एक ‘पीड़ित नेता’ के तौर पर पेश कर सकता है, जैसा पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के मामले में हुआ था। वहीं सरकार इस पूरी रणनीति को विपक्ष की साजिश के रूप में चित्रित करने के लिए तैयार है। इससे संसद के मानसून सत्र में माहौल काफी गर्म रहने की आशंका है।