जेल में बंद पीएफआई नेता को नजरबंद नहीं किया जाएगा : दिल्ली हाईकोर्ट |

जेल में बंद पीएफआई नेता को नजरबंद नहीं किया जाएगा : दिल्ली हाईकोर्ट

जेल में बंद पीएफआई नेता को नजरबंद नहीं किया जाएगा : दिल्ली हाईकोर्ट

:   Modified Date:  December 19, 2022 / 01:58 PM IST, Published Date : December 19, 2022/1:58 pm IST

नयी दिल्ली, 19 दिसंबर (भाषा) ई अबुबकर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि जेल में बंद पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष को चिकित्सा उपचार मुहैया कराया जाएगा लेकिन घर में नजरबंदी में नहीं रखा जाएगा।

अबुबकर ने निचली अदालत के चिकित्सा आधार पर रिहा नहीं किए जाने के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा, “जब आप चिकित्सा आधार पर जमानत मांग रहे हैं तो हम आपको घर क्यों भेंजे? हम आपको अस्पताल भेजेंगे।”

अबुबकर (70) के वकील ने पिछले महीने कहा था कि उनको कैंसर और पार्किंसंस रोग है और वह “गंभीर पीड़ा” में हैं, जिसके लिए तत्काल इलाज की आवश्यकता है।

अबूबकर को इस साल की शुरुआत में प्रतिबंधित संगठन पर व्यापक कार्रवाई के दौरान राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं।

पीठ ने सोमवार को टिप्पणी की कि “नजरबंद” रखने के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं था और निर्देश दिया कि अबुबकर को 22 दिसंबर को ‘ऑन्कोसर्जरी’ समीक्षा के लिए हिरासत में एम्स में “सुरक्षित रूप से ले जाया जाए” और उनके बेटे को भी परामर्श के समय उपस्थित रहने की अनुमति दी।

अदालत ने कहा, “हम आपको नजरबंदी नहीं दे रहे हैं। कानून में नजरबंद किए जाने का कोई प्रावधान नहीं है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पास शक्तियां हैं जो इस न्यायालय के पास नहीं हैं।”

न्यायमूर्ति मृदुल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हमें इसमें कुछ भी उचित नहीं दिख रहा है क्योंकि किसी सर्जरी की सिफारिश नहीं की गई है। सबसे पहले तो हम आपको नजरबंदी में नहीं भेज सकते। यदि आपकी चिकित्सा स्थिति में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, तो हम अस्पताल में भर्ती होने का निर्देश दे सकते हैं। हम एक परिचारक की अनुमति दे सकते हैं। हम किसी और चीज की अनुमति नहीं दे रहे हैं।”

अदालत ने कहा, “वह इलाज के हकदार हैं और हम प्रदान करेंगे।”

पीठ ने मामले को अगले साल जनवरी में विचार के लिए सूचीबद्ध किया और जेल चिकित्सा अधीक्षक को एम्स के ऑन्कोसर्जरी विभाग के साथ परामर्श पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

‍भाषा

प्रशांत नरेश

नरेश

 

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