जेलों में स्वीकृत क्षमता की तुलना में कैदियों की संख्या अधिक
जेलों में स्वीकृत क्षमता की तुलना में कैदियों की संख्या अधिक
नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) सरकार ने बताया कि देश की जेलों में स्वीकृत क्षमता की तुलना में कैदियों की संख्या अधिक है।
गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वार्षिक रिपोर्ट “कारागार सांख्यिकी भारत – 2022’’ के आंकड़ों के हवाले से बताया कि देश की जेलों में 31 दिसंबर 2022 तक कुल 5,73,220 कैदी बंद थे, जबकि इन जेलों की स्वीकृत क्षमता 4,36,266 थी। इनमें से 4,34,302 कैदी विचाराधीन थे।
मंत्री ने बताया कि संविधान की सातवीं अनुसूची के सूची-2 की प्रविष्टि 4 के तहत ‘जेल’ और ‘कैदियों का प्रबंधन’ राज्य सूची के विषय हैं अतः जेलों का संचालन और प्रबंधन संबंधित राज्य सरकारों की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
उन्होंने बताया कि देशभर की जेलों में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता क्लीनिक स्थापित किए गए हैं ताकि किसी भी कैदी को कानूनी प्रतिनिधित्व से वंचित न रहना पड़े।
गृह राज्य मंत्री ने यह भी बताया कि इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) द्वारा जेलों में जागरूकता शिविर आयोजित किए जाते हैं, जिनमें मुफ़्त कानूनी सहायता, समझौते पर विचार, लोक अदालतों और जमानत के अधिकार जैसी जानकारी दी जाती है।
उन्हें बताया कि अदालत परिसरों और जेलों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंस सुविधा उपलब्ध कराई गई है ताकि विचाराधीन बंदियों की पेशी और सुनवाई में तेजी लाई जा सके।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर 2022 तक देश की कुल 1350 जेलों में से 1150 जेलों में यह सुविधा है।
भाषा मनीषा माधव
माधव

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