श्रीनगर, 29 मार्च (भाषा) जम्मू-कश्मीर सरकार हिमालय में जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से पिघल रहे हिमनदों के कारण हिमनदीय झीलों के अचानक टूट जाने की स्थिति में तैयारी बढ़ाने के लिए एक पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित कर रही है। अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से हिमालय में हिमनदीय झीलों के अचानक टूटने का खतरा मंडरा रहा है इसलिए सरकार ने बढ़ते खतरे से निपटने के लिए उसका दुष्प्रभाव कम से कम करने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक केंद्रित, समग्र और सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है, जिसके तहत जोखिम परिदृश्य की व्यापक समझ तथा ठोस उपशमन और जोखिम कम करने की रणनीतियां विकसित करना शामिल है।’’
इस संबंध में, सरकार ने एफजीएमसी या केंद्रित ‘ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़’ (जीएलओएफ) निगरानी समिति का गठन किया है।
अधिकारियों ने बताया कि हिमालय में पवित्र अमरनाथ गुफा के रास्ते में दो हिमनदीय झीलों – शेषनाग और सौंसर – के लिए भौगोलिक अभियान चलाया गया है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा, एक विशेष टीम ने अभियान चलाकर किश्तवाड़ जिले में तीन अन्य महत्वपूर्ण हिमनदीय झीलों का व्यापक अध्ययन किया, जिनमें मुंदिकसर झील, हंगू झील और एक अनाम झील शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि ये अभियान हिमालय में जीएलओएफ के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए उन्नत निगरानी और जोखिम प्रबंधन रणनीतियों की ‘तत्काल आवश्यकता’ को रेखांकित करते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि अधिक विस्तृत अध्ययन की भी योजना बनाई जा रही है।
भाषा राजकुमार देवेंद्र
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