न्यायपालिका को प्रतिशोधात्मक आलोचना से कमजोर नहीं किया जा सकता : दिल्ली उच्च न्यायालय

न्यायपालिका को प्रतिशोधात्मक आलोचना से कमजोर नहीं किया जा सकता : दिल्ली उच्च न्यायालय

न्यायपालिका को प्रतिशोधात्मक आलोचना से कमजोर नहीं किया जा सकता : दिल्ली उच्च न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:14 pm IST
Published Date: July 22, 2022 10:05 pm IST

नयी दिल्ली,22 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने न्यायाधीशों की प्रतिष्ठा और कामकाज पर कथित तौर पर ‘‘सीधा हमला’’ करने को लेकर एक वकील को अवमानना नोटिस जारी करते हुए कहा कि न्यायपालिका को प्रतिशोधात्मक आलोचना से कमजोर नहीं किया जा सकता।

साथ ही, अदालत ने यह भी कहा कि अवांछित हमले को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने बलात्कार के एक मामले में याचिकाकर्ता के वकील द्वारा उच्च न्यायालय और निचली अदालत के न्यायाधीशों के खिलाफ की गई ‘‘पूर्वाग्रहपूर्ण ’’ तथा निंदनीय टिप्पणियों का संज्ञान लिया।

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न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका को आलोचना से छूट प्राप्त नहीं है लेकिन यदि यह अदालत की गरिमा को इरादतन कम करने के लिए तोड़ मरोड़ कर पेश किये गये तथ्यों पर आधारित है तो उसका अवश्य संज्ञान लिया जाएगा।

अदालत ने कहा कि न्यायाधीशों को अपमानित करने से न्याय प्रशासन प्रभावित होगा क्योंकि यह सार्वजनिक तौर पर की गई शरारत होती है और मौजूदा मामले में बयान दुर्भावनापूर्ण तरीके से दिये गये तथा वे अपमानजनक प्रकृति के हैं।

अदालत ने कहा, ‘‘न सिर्फ एक न्यायाधीश की प्रतिष्ठा और कामकाज पर सीधा हमला किया गया बल्कि यह हमला इस अदालत के कई न्यायाधीशों पर किया गया…एक स्वस्थ लोकतंत्र में, निष्पक्ष न्यायापलिका होनी चाहिए। हालांकि इसे प्रतिशोधात्मक आलोचना से कमजोर नहीं किया जा सकता। ’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अवमानना का नोटिस जारी किया जाए। इसलिए, मैं याचिकाकर्ता के वकील को यह कारण बताने के लिए अवमानना का नोटिस जारी करता हूं कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए। ’’ विषय पर अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।

भाषा

सुभाष नरेश

नरेश


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