न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को सच्चाई याद दिलाने का साहस रखे: उच्चतम न्यायालय
न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को सच्चाई याद दिलाने का साहस रखे: उच्चतम न्यायालय
नयी दिल्ली, 13 अगस्त (भाषा) दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों पर आदेश को लेकर मचे बवाल के बीच उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि न्यायपालिका की एकमात्र जिम्मेदारी है कि वह लोगों को उन सच्चाइयों की याद दिलाने का साहस और शक्ति रखे जिन्हें वे सुनना पसंद नहीं करते।
ग्यारह अगस्त के आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध कराई गई।
इसमें न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे सभी इलाकों से आवारा कुत्तों को ‘‘शीघ्रता से’’ हटाना शुरू करें और उन्हें स्थायी रूप से कुत्ता आश्रय स्थलों पर स्थानांतरित करें।
आदेश में कहा गया, ‘‘न्यायपालिका को उस समय की प्रचलित लोकप्रिय भावनाओं के प्रभाव में नहीं आना चाहिए, क्योंकि उसकी भूमिका तात्कालिक भावनाओं को प्रतिध्वनित करना नहीं है, बल्कि न्याय, विवेक और समता के स्थायी सिद्धांतों को कायम रखना है।’’
इसमें कहा गया, ‘‘जीवित लोगों की प्रहरी और अधिकारों की संरक्षक के रूप में न्यायपालिका की यह महती जिम्मेदारी है कि वह लोगों को उन सच्चाइयों की याद दिलाने का साहस और शक्ति रखे, जिन्हें वे पसंद नहीं करते या सुनना नहीं चाहते।’’
पीठ ने आवारा कुत्तों के प्रति ‘‘सच्चे प्यार और देखभाल’’ संबंधी अपनी जागरूकता व्यक्त की और लोगों से ‘‘आगे आकर इस कवायद का हिस्सा बनने’’ का आग्रह किया।
आदेश में कहा गया, ‘‘हस्तक्षेपकर्ताओं की चिंताओं को देखते हुए, हम सभी से कुत्तों को गोद लेने और उन्हें अपने घरों में आश्रय देने का आग्रह करते हैं। हालांकि, हम उन सभी लोगों के सद्गुणों को नज़रअंदाज़ नहीं करते जो जानवरों के प्रति प्रेम और चिंता रखते हैं।’’
न्यायालय ने इस बात को रेखांकित किया कि ‘‘पशु प्रेमियों’’ और पशुओं के प्रति उदासीन व्यक्तियों के बीच ‘‘आभासी विभाजन’’ पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है।
इसमें कहा गया, ‘‘लेकिन सभी व्यावहारिक कारणों से समस्या का मूल मुद्दा अब भी अनुत्तरित है।’’
भाषा
नेत्रपाल अविनाश
अविनाश

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