न्यायपालिका को 'ध्वजवाहक' बनना होगा और राष्ट्र के साथ चलना होगा: उच्चतम न्यायालय |

न्यायपालिका को ‘ध्वजवाहक’ बनना होगा और राष्ट्र के साथ चलना होगा: उच्चतम न्यायालय

न्यायपालिका को 'ध्वजवाहक' बनना होगा और राष्ट्र के साथ चलना होगा: उच्चतम न्यायालय

:   Modified Date:  April 8, 2024 / 09:30 PM IST, Published Date : April 8, 2024/9:30 pm IST

नयी दिल्ली, आठ अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ अधिकारी के रूप में सेवामुक्त हुई एक महिला अधिकारी के साथ व्यवहार को लेकर सोमवार को भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) को फटकार लगाई और आदेश दिया कि अधिकारी को सेवा में फिर से शामिल किया जाए।

इसने उल्लेख किया कि न्यायपालिका को ‘ध्वजवाहक’ बनना होगा और राष्ट्र के साथ चलना होगा।

महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का विरोध करने पर आईसीजी को कड़ी फटकार लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने थलसेना, वायुसेना और नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर शीर्ष अदालत के फैसलों का जिक्र किया और कहा कि भेदभाव ख़त्म करना होगा।

पीठ ने कहा, “हमें ध्वजवाहक बनना होगा और राष्ट्र के साथ चलना होगा। पहले महिलाएं बार में शामिल नहीं हो सकती थीं, लड़ाकू पायलट नहीं बन सकती थीं।”

इसने आईसीजी को प्रियंका त्यागी को बल में वापस लेने का आदेश देते हुए कहा, ‘‘क्या आप लोग अपनी महिला अधिकारियों के साथ इसी तरह व्यवहार करते हैं?’’

पीठ ने आईसीजी को त्यागी को उस पद पर फिर से शामिल करने का निर्देश दिया, जिस पर वह 2023 में सेवा से मुक्त होने की तारीख पर थीं।

आदेश में कहा गया, ”अगले आदेश तक याचिकाकर्ता को उसकी योग्यता के अनुरूप महत्वपूर्ण पदस्थापना दी जाए।”

शीर्ष अदालत ने त्यागी की लंबित याचिका को भी दिल्ली उच्च न्यायालय से अपने पास स्थानांतरित कर लिया।

त्यागी ने आईसीजी की पात्र महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन की मांग की है।

पीठ अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की इस दलील से सहमत नहीं थी कि आईसीजी की तुलना थलसेना, नौसेना और वायुसेना से करना गलत है।

अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह लैंगिक समानता के विरोधी नहीं हैं और केवल मामले के तथ्यों एवं बदलाव के लिए बल की तैयारियों का जिक्र कर रहे हैं।

आईसीजे ने पीठ से कहा था कि शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों से संबंधित वर्तमान भर्ती नियमों के तहत महिला अधिकारी स्थायी कमीशन की मांग नहीं कर सकतीं।

यह उल्लेख करते हुए कि महिलाओं को अलग नहीं रखा जा सकता, पीठ ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि उन्हें तटरक्षक बल में स्थायी कमीशन दिया जाए।

पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता एकमात्र एसएससी महिला अधिकारी है जिसने स्थायी कमीशन का विकल्प चुनना चाहा। इसने पूछा कि उसके मामले पर विचार क्यों नहीं किया गया।

इसने कहा, ”अब, तटरक्षक बल को एक नीति बनानी चाहिए।”

भाषा

नेत्रपाल माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)