शासन को फैसले लेते समय न्याय, निष्पक्षता और नैतिकता को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए : कांग्रेस

शासन को फैसले लेते समय न्याय, निष्पक्षता और नैतिकता को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए : कांग्रेस

शासन को फैसले लेते समय न्याय, निष्पक्षता और नैतिकता को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए : कांग्रेस
Modified Date: December 16, 2025 / 05:26 pm IST
Published Date: December 16, 2025 5:26 pm IST

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस के एक सांसद ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि सरकार या शासन को फैसले लेते समय न्याय, निष्पक्षता और नैतिकता को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए।

उन्होंने कई कानूनों को निरस्त करने या संशोधित करने के प्रावधान वाले ‘निरसन और संशोधन विधेयक, 2025’ पर चर्चा के दौरान यह बात कही जिसे बाद में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के जवाब के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

कांग्रेस सांसद गोवाल कागदा पडवी ने ‘निरसन और संशोधन विधेयक 2025’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि कानून का निरसन आसान है, लेकिन ऐतिहासिक गलतियों को सुधारना कठिन (हार्ड), जबकि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करना सर्वाधिक कठिन (हार्डेस्ट) होता है।

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पडवी ने कहा कि प्रत्येक निरसन और संशोधन का संवैधानिक परिणाम और सामाजिक प्रभाव होता है, ऐसे में वह सरकार से पूछना चाहते हैं कि ये कानून अब क्यों निरस्त किये जा रहे हैं और इससे किसे फायदा होगा।

उन्होंने कहा कि सरकार को सभी चीजों पर विचार करके कानून का निरसन करना चाहिए न कि अपने फायदे के लिए।

कांग्रसे सांसद ने कहा, ‘‘सरकार या शासन को फैसले लेते समय न्याय, निष्पक्षता और नैतिकता को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए।’’

उन्होंने भारतीय उत्तराधिकार कानून की धारा 213 से ‘प्रोबेट’ शब्द को हटाने के प्रावधान को मुसलमानों के विरुद्ध अन्य धर्म के लोगों के तुष्टीकरण का प्रयास करार दिया।

उन्होंने यह भी पूछा कि आखिर सरकार आदिवासियों से संबंधित वन अधिकार संशोधन कानून कब लाएगी।

चर्चा में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अभय कुमार सिन्हा ने इस विधेयक को जल्दबाजी में लाया गया कदम बताया।

उन्होंने सवाल किया कि सरकार को यह बताना चाहिए कि उसने किस प्रक्रिया के तहत यह तय किया कि कौन सा कानून अप्रासंगिक है तथा सरकार को यह भी बताना चाहिए कि उसने क्या राज्य सरकारों से इस संबंध में संपर्क किया है।

भाकपा (माले) लिबरेशन के सुदामा प्रसाद ने कहा कि इन कानूनों के निरसन के जरिये सरकार अपने हाथों में राजनीतिक कानूनी अधिकार लेना चाहती है।

माकपा के एस. वेंकटेशन, राकांपा (एसपी) के सुरेश गोपीनाथ म्हात्रे और भाकपा के वी. सेल्वाराज ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।

भाजपा के दामोदर अग्रवाल और रमेश अवस्थी, वाईएसआरसीपी के एम गुरुमूर्ति तथा निर्दलीय उमेश भाई पटेल ने विधेयक का समर्थन किया।

भाषा सुरेश

सुरेश वैभव

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