कानूनी सहायता, मध्यस्थता के जरिये हर नागरिक के लिए न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है: प्रधान न्यायाधीश

कानूनी सहायता, मध्यस्थता के जरिये हर नागरिक के लिए न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है: प्रधान न्यायाधीश

कानूनी सहायता, मध्यस्थता के जरिये हर नागरिक के लिए न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है: प्रधान न्यायाधीश
Modified Date: August 20, 2025 / 08:48 pm IST
Published Date: August 20, 2025 8:48 pm IST

नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने बुधवार को कहा कि देश में पारंपरिक मुकदमेबाजी अकेले बोझ नहीं उठा सकती और कानूनी सहायता तथा मध्यस्थता के माध्यम से प्रत्येक नागरिक के लिए न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है।

प्रधान न्यायाधीश ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) द्वारा आयोजित ‘‘सभी के लिए न्याय-कानूनी सहायता और मध्यस्थता : बार और पीठ की सहयोगात्मक भूमिका’’ व्याख्यान के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हाशिये पर पड़े समुदायों के लिए न्याय का मार्ग जटिल और बाधाओं से भरा हो सकता है।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक के लिए न्याय का वादा करता है। फिर भी व्यावहारिक रूप से, न्याय का मार्ग लंबा और जटिल हो सकता है और इसमें कई बाधाएं आ सकती हैं। कई लोगों के लिए, विशेष रूप से हाशिये पर रहने वाले लोगों और कमजोर समुदायों के लिए, निष्पक्ष सुनवाई की यात्रा सामाजिक, आर्थिक और भौगोलिक बाधाओं से अवरुद्ध होती है।’’

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बार और पीठ की सहयोगात्मक भूमिका को रेखांकित करते हुए उन्होंने वकीलों की भूमिका को रेखांकित किया, जिनके बारे में कहा गया कि वे न केवल व्यक्तिगत मुवक्किलों के प्रतिनिधि हैं, बल्कि न्याय के संरक्षक भी हैं।

उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों को निष्पक्षता, समानता और उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने का गंभीर कर्तव्य सौंपा गया है।

न्यायमूर्ति गवई ने ‘‘न्याय के रथ’’ को सुचारु रूप से चलाने के लिए न्यायाधीशों और वकीलों के बीच सामंजस्य पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘कानूनी सहायता योजनाएं इस सहयोगात्मक प्रयास की आधारशिला रही हैं। कानूनी सहायता यह सुनिश्चित करती है कि आर्थिक रूप से वंचित या सामाजिक रूप से हाशिये पर पड़े लोगों को हमारी कानूनी प्रणाली की जटिलताओं से निपटने में प्रतिनिधित्व, मार्गदर्शन या सहायता से वंचित न किया जाए।’’

हालांकि, प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कई पात्र नागरिक कानूनी सहायता योजनाओं के तहत अपने अधिकारों से अनभिज्ञ हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘तेजी से बढ़ती आबादी और लगातार बढ़ते मुकदमों के बोझ वाले देश में, पारंपरिक मुकदमेबाजी अकेले बोझ नहीं उठा सकती। मध्यस्थता एक ऐसा रास्ता पेश करती है, जो विरोधात्मक नहीं है। यह पक्षों को सहयोगात्मक तरीके से समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करती है। मैं वरिष्ठ अधिवक्ताओं को प्रोत्साहित करूंगा कि वे पक्षों का मध्यस्थता के माध्यम से अपने विवादों को सुलझाने के लिए सक्रिय रूप से मार्गदर्शन करें।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालती मुकदमेबाजी और मध्यस्थता दोनों में अक्सर लंबी प्रक्रियाएं, जटिल औपचारिकताएं और महत्वपूर्ण वित्तीय व्यय शामिल होते हैं।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘‘कानूनी सहायता और मध्यस्थता वे साधन हैं, जिनके माध्यम से हम संविधान के आदर्शों को लोगों के लिए वास्तविकता में बदल सकते हैं। आज जैसे व्याख्यान न्यायाधीशों को याद दिलाते हैं कि सहानुभूति, पहुंच और सुगम्यता वैकल्पिक गुण नहीं, बल्कि न्यायिक सेवा के आवश्यक घटक हैं।’’

भाषा

देवेंद्र पारुल

पारुल


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