कर्नाटक : एसटी निगम घोटाला मामले में कांग्रेस सरकार को झटका, मंत्री बी. नागेन्द्र ने इस्तीफा दिया

कर्नाटक : एसटी निगम घोटाला मामले में कांग्रेस सरकार को झटका, मंत्री बी. नागेन्द्र ने इस्तीफा दिया

कर्नाटक : एसटी निगम घोटाला मामले में कांग्रेस सरकार को झटका, मंत्री बी. नागेन्द्र ने इस्तीफा दिया
Modified Date: June 6, 2024 / 10:30 pm IST
Published Date: June 6, 2024 10:30 pm IST

बेंगलुरु, छह जून (भाषा) कर्नाटक में एक सरकारी निगम से जुड़े अवैध धनराशि अंतरण मामले में आरोपों से घिरे अनुसूचित जनजाति (एसटी) कल्याण मंत्री बी. नागेन्द्र ने बृहस्पतिवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसे सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली एक वर्ष पुरानी सरकार के लिए करारा झटका माना जा रहा है।

मंत्री ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा पत्र सौंपा और कहा कि वह इस मामले में निष्कलंक होकर सामने आएंगे।

कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड से संबंधित यह अवैध धनराशि अंतरण मामला उस वक्त सामने आया जब उसके लेखा अधीक्षक चंद्रशेखर पी ने 26 मई को आत्महत्या कर ली। मरने से पहले चंद्रशेखर ने एक ‘सुसाइड नोट’ लिखा था।

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इस नोट में निगम के बैंक खाते से 187 करोड़ रुपये के अवैध अंतरण का खुलासा किया गया था। इस रकम में से 88.62 करोड़ रुपये कथित रूप से ‘जानी-मानी’ आईटी कंपनियों के विभिन्न खातों एवं हैदराबाद के एक सहकारी बैंक में डाले गये थे।

चंद्रशेखर ने नोट में निगम के अब निलंबित प्रबंध निदेशक जे एच पद्मनाभ, लेखा अधिकारी परशुराम जी दुरूगन्नवार, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य प्रबंधक सुचिस्मिता रावल के नामों का उल्लेख किया है। उन्होंने नोट में कहा है कि ‘‘मंत्री’’ ने धनराशि अंतरण का मौखिक आदेश दिया था।

चार बार के विधायक नागेन्द्र (52) ने कहा, ‘‘इस्तीफे के लिए किसी ने मेरे ऊपर दबाव नहीं बनाया। मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर खुद से इस्तीफा देने का फैसला किया है, ताकि लोगों को मेरे बारे में गुमराह नहीं किया जाए।’’

युवा सशक्तीकरण एवं खेल मंत्रालय का भी प्रभार देख रहे नागेन्द्र ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वह किसी भी रूप में प्रदेश के मुख्यमंत्री (सिद्धरमैया) या उपमुख्यमंत्री (डी के शिवकुमार) या पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एम. मल्लिकार्जुन खरगे को शर्मिंदा नहीं करना चाहते हैं।

विधानसभा में बेल्लारी ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायक नागेन्द्र ने कहा, ‘‘मैं अपनी इच्छा से इस्तीफा दे रहा हूं… एसआईटी (विशेष जांच दल) मामले की जांच कर रही है और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यदि जांच के दौरान मैं मंत्री पद पर रहा तो इससे समस्या हो सकती है। इसके मद्देनजर मैंने (इस्तीफा देने का) फैसला किया है।’’

उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को निराधार करार दिया है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में ‘निर्दोष’ साबित होंगे।

इससे पहले दिन में शिवकुमार ने कहा, ‘पार्टी को शर्मिंदा नहीं करना चाहते थे, इसलिए वह (नागेंद्र) स्वेच्छा से आगे आए और इस्तीफा दे दिया। हमने उनसे इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा था। हमने उनसे चर्चा की। …हमने कई लोगों से चर्चा की है, कोई भी मंत्री इतनी बड़ी रकम का दुरुपयोग करने की हिम्मत नहीं दिखाएगा। यह आसान नहीं है।’

नागेन्द्र ने मामले में उनसे जुड़े लोगों की संलिप्तता के आरोपों को ‘अटकलबाजी’ करार देते हुए कहा, ‘उन्होंने (मृत अधिकारी ने) कहीं भी मेरा नाम नहीं लिखा है। मंत्री मतलब कौन सा मंत्री?’

उन्होंने कहा, ‘निगम में जो कुछ हुआ, उसकी मुझे जानकारी नहीं थी और पता चलने पर मैंने निगम के प्रबंध निदेशक को निलंबित कर दिया और जांच जारी है।’

नागेंद्र ने यह भी दावा किया कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने उनसे इस्तीफा नहीं मांगा, बल्कि (उन्होंने) इस्तीफा न देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘जांच से सच्चाई सामने आ जाएगी, उसके बाद मैं आऊंगा… निर्दोष साबित होने पर मुझे वापस मंत्रिमंडल में लेना मुख्यमंत्री और हाईकमान के विवेक पर छोड़ दिया गया है।’

भाषा सुरेश पवनेश

पवनेश


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