कर्नाटक ईवीएम-वीवीपैट के पारदर्शी मूल्यांकन के लिए तैयार: प्रियांक खरगे का निर्वाचन आयोग को पत्र

कर्नाटक ईवीएम-वीवीपैट के पारदर्शी मूल्यांकन के लिए तैयार: प्रियांक खरगे का निर्वाचन आयोग को पत्र

कर्नाटक ईवीएम-वीवीपैट के पारदर्शी मूल्यांकन के लिए तैयार: प्रियांक खरगे का निर्वाचन आयोग को पत्र
Modified Date: September 9, 2025 / 11:15 am IST
Published Date: September 9, 2025 11:15 am IST

बेंगलुरु, नौ सितंबर (भाषा) कर्नाटक के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खरगे ने कहा कि राज्य न्यायिक और उद्योग निगरानी में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम)–वोटर वेरीफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) प्रक्रिया का पूरे पारदर्शी तरीके से मूल्यांकन करने के लिए तैयार है।

खरगे ने छह सितंबर को निर्वाचन आयोग को लिखे अपने पत्र की एक प्रति सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर फिर से पोस्ट की।

खरगे ने अपने पत्र में कहा कि उन्होंने तीन दिसंबर 2024 को भी निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा था, जिसमें ईवीएम की कार्यप्रणाली और उससे जुड़ी प्रक्रियागत कमजोरियों को लेकर चिंता जताई थी और राज्य सरकार के समर्थन से अदालत की निगरानी में ऑडिट करवाने के लिए एक “व्यावहारिक समाधान” का सुझाव दिया था।

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पत्र में लिखा था, “हमारे पास मजबूत तकनीक और शोध प्रणाली है, इसलिए मैंने प्रस्ताव दिया था कि कर्नाटक इस तरह की पारदर्शी प्रक्रिया को न्यायिक और उद्योग विशेषज्ञों की निगरानी में अच्छी तरह से कर सकता है। इससे ईवीएम की प्रणाली की कड़ी जांच हो सकेगी और चुनावों की पारदर्शिता को लेकर जनता की चिंताओं को दूर किया जा सकेगा।”

खरगे ने यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी मंत्री के रूप में उन्होंने कई मौकों पर निर्वाचन आयोग के समक्ष औपचारिक रूप से इसी तरह के सुझाव रखे हैं।

उन्होंने कहा, “मेरा उद्देश्य हमेशा से चिंताओं को दूर करना और व्यवस्था में जनता का विश्वास मजबूत करना रहा है।”

उन्होंने कहा कि संस्थाओं की स्वतंत्रता और हमारे चुनावों की निष्पक्षता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं, ऐसे समय में पारदर्शिता बढ़ाने वाले प्रस्तावों को अपनाना और भी जरूरी हो जाता है।

मंत्री ने लिखा, “‘वोट चोरी’ को लेकर जारी बहस, महादेवपुरा (बेंगलुरु) में सामने आई गड़बड़ियां, पानीपत (हरियाणा) में ईवीएम की पुनर्गणना और आलंद (कलबुर्गी) में मतदाता सूची से नाम हटाने की धोखाधड़ी के बीच जनता की चिंता और भी बढ़ गई है। अब आयोग की जिम्मेदारी है कि वह इन शंकाओं को दूर करे और हमारे लोकतंत्र की विश्वसनीयता की रक्षा करे।”

भाषा खारी मनीषा

मनीषा


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