कर्नाटक के रेशम उत्पादक जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण परेशान होने का मुद्दा उठा रास में
कर्नाटक के रेशम उत्पादक जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण परेशान होने का मुद्दा उठा रास में
नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) कर्नाटक में रेशम उत्पादन करने वाले किसानों की समस्याएं उठाते हुए राज्यसभा में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण राज्य के सिल्क उत्पादक खासी परेशानी का सामना कर रहे हैं।
शून्यकाल में भाजपा के जगेश ने कर्नाटक में रेशम उत्पादन करने वाले किसानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि राज्य में 15 लाख लोग सिल्क उत्पादन में लगे हैं और बरसों से वह लोग यह काम करते आ रहे हैं।
उन्होंने कहा ‘‘लेकिन आज जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के कारण कर्नाटक के रेशम उत्पादक खासी परेशानी का सामना कर रहे हैं। ऐसे समय पर मजदूरों का अभाव, उर्वरकों की अत्यधिक कीमत और अन्य समस्याएं उनकी परेशानी को बढ़ा रही हैं।’’
उन्होंने मांग की कि रेशम के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और छोटे किसानों के लिए बाजार व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को रेशम उत्पादकों के लिए एक लक्षित नीति बनानी चाहिए ताकि सेरीकल्चर को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के रेशम का वैश्विक बाजार में प्रचार-प्रसार करना भी जरूरी है।
भाजपा के ही आर पी एन सिंह ने उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में गल्फ एप्रूव मेडिकल एसोसिएशन सेंटर खोलने की मांग की। उन्होंने कहा कि बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग काम के लिए खाड़ी देश में जाते हैं ताकि उनके परिवारों का जीवन स्तर बेहतर हो सके।
उन्होंने कहा कि इन कामगारों को गल्फ एप्रूव मेडिकल एसोसिएशन सेंटर द्वारा जांच कराना जरूरी है और इसके लिए उन्हें लखनऊ, दिल्ली या मुंबई जाना पड़ता है तथा उन्हें अधिक खर्च उठाना पड़ता है।
सिंह ने कहा कि कुशीनगर अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कामगारों के लिए अनुकूल स्थान है। उन्होंने कहा कि कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा और पासपोर्ट केंद्र है। यहां एक गल्फ एप्रूव मेडिकल एसोसिएशन सेंटर खोलना बेहतर होगा। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। वहां की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
जद(यू) के संजय कुमार झा ने मैथिली भाषा की लिपि का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि मैथिली संविधान की आठवीं अनुसूची में है और करोड़ों लोग मैथिली बोलते हैं। उन्होंने कहा ‘‘लेकिन इसकी प्रमाणिक और प्राचीन लिपि ‘तिरहुता’ है जिसकी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सुलभ उपलब्धता नहीं है। इसे वैदेही लिपि भी कहा जाता है।’’
झा ने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रसार के चलते वैश्विक स्तर पर अब नयी संभावनाएं बन रही हैं और ऐसे में तिरहुता की सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सुलभ उपलब्धता के लिए तत्काल प्रयास किए जाने चाहिए।
भाजपा के नरेश बंसल ने उत्तराखंड में उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बहुअंग प्रतिरोपण शल्य चिकित्सा विभाग स्थापित करने की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि देश की आबादी को देखते हुए बड़ी संख्या में अंग प्रत्यारोपण की जरूरत है लेकिन दूसरी ओर अंगदान करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हैं।
उन्होंने कहा कि देश में हर साल करीब डेढ़ लाख गुर्दा प्रत्यारोपण की जरूरत है लेकिन 15 से 20 हजार गुर्दा प्रत्यारोपण ही होते हैं। बंसल ने कहा कि यही स्थिति जिगर, आंत और त्वचा को लेकर है।
उन्होंने कहा ‘‘कई अंगों की जरूरत होती है लेकिन दस लाख की आबादी में एक से भी कम अंगदान होता है। अंगदाान करने में उत्तराखंड राज्य आगे है और प्रदेश में उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बहुअंग प्रतिरोपण शल्य चिकित्सा विभाग स्थापित करने की जरूरत है।
तृणमूल कांग्रेस के प्रकाश चिक बराइक ने बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले एवं दार्जिलिंग जिले में आई बाढ़ का मुद्दा उठाया। उन्होंने केंद्र सरकार पर इन जिलों में बाढ़ से निपटने के लिए कोई मदद न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अपने सीमित संसाधनों से ही राहत उपाय किए हैं।
भाजपा की सीमा द्विवेद्वी ने देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों की पेंशन का मुद्दा उठाया।
भाजपा के राजीव भट्टाचार्जी, बाबूराम निषाद, एस सेल्वागनबेथी, तृणमूल कांग्रेस के रीताव्रता बनर्जी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के मेदा रघुनाथा रेड्डी ने भी शून्यकाल में आसन की अनुमति से लोक महत्व से जुड़े अपने अपने मुद्दे उठाए।
भाषा
मनीषा माधव
माधव

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