आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं है कि आप अन्य लोगों के परेशानी खड़े करेंगे : न्यायालय

आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं है कि आप अन्य लोगों के परेशानी खड़े करेंगे : न्यायालय

आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं है कि आप अन्य लोगों के परेशानी खड़े करेंगे : न्यायालय
Modified Date: November 29, 2022 / 08:30 pm IST
Published Date: November 18, 2022 1:50 pm IST

नयी दिल्ली, 18 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक महिला की उस याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया, जिसमें उसने 60 से अधिक आवारा कुत्तों को संरक्षण देने की मांग की थी। महिला काफी समय से इन कुत्तों की देखभाल कर रही है।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंद्रेश की एक पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील से मामला, इस संबंध में लंबित मामलों पर सुनवाई कर रही एक अन्य पीठ के समक्ष उठाने को कहा।

पीठ ने कहा, ‘‘ आवारा कुत्तों को रखने का मतलब यह नहीं है कि आप उन्हें सड़कों पर ले जाएं, लड़ाई करें और लोगों के जीवन में परेशानी खड़े करें।’’

 ⁠

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘ जैसा कि यह बताया गया है कि इसी तरह के मुद्दे पर एक अन्य पीठ सुनवाई कर रही है इसलिए वर्तमान रिट याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती।’’

उच्चतम न्यायालय मध्य प्रदेश की समरिन बानो की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दावा किया गया है कि राज्य में आवारा कुत्तों को सुरक्षा प्रदान नहीं की जा रही है।

उन्होंने आरोप लगाया था कि अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और उन्होंने उन 67 आवारा कुत्तों के लिए संरक्षण की मांग की थी, जिनकी वह काफी समय से देखभाल कर रही हैं।

भाषा निहारिका नरेश

नरेश


लेखक के बारे में