केरल के राजीतिक दलों और सीबीसीआई ने ननों को जमानत दिए जाने का स्वागत किया
केरल के राजीतिक दलों और सीबीसीआई ने ननों को जमानत दिए जाने का स्वागत किया
तिरुवनंतपुरम/त्रिशूर, दो अगस्त (भाषा) केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) विपक्षी ‘यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट’ (यूडीएफ) और एक प्रमुख कैथोलिक निकाय ने छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों में गिरफ्तार की गई दो ननों को जमानत दिए जाने का शनिवार को स्वागत किया।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने केरल की दो ननों सहित तीन लोगों को सशर्त जमानत दे दी।
केरल की नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस को सुखमन मंडावी के साथ 25 जुलाई को छत्तीसगढ़ के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर शासकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने स्थानीय बजरंग दल के एक पदाधिकारी की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया था।
बजरंग दल के कार्यकर्ता ने उनपर तीन युवतियों का जबरन धर्मांतरण कराने और उनकी तस्करी करने का आरोप लगाया था।
राज्य के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर पोस्ट में
इस घटनाक्रम को ‘संतोषजनक’ बताया, लेकिन साथ ही कहा कि ननों की गिरफ्तारी के पीछे की राजनीतिक मंशा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि यह घटना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दोहरे मापदंड को उजागर करती है क्योंकि वह भाजपा शासित राज्यों में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ कथित अत्याचारों और उत्पीड़न पर आंखें मूंद लेती है, जबकि राजनीतिक लाभ के लिए केरल में उनके संरक्षक के रूप में काम करती है।
उन्होंने भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को नष्ट करने की ऐसी कथित कोशिशों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने की अपील की।
गिरफ्तारी के नौ दिन बाद ननों को जमानत दिए जाने का विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने स्वागत किया और कहा कि उन्हें ऐसे अपराधों के लिए झूठे मामले में जेल में डाल दिया गया जो उन्होंने किए ही नहीं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने शनिवार को भी जमानत याचिका का विरोध किया था, लेकिन ननों से हिरासत में पूछताछ की मांग नहीं की थी।
राज्य की राजधानी में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने दावा किया, ‘उसी समय, बजरंग दल के वकीलों ने मांग की कि किसी भी कारण से ननों को जमानत न दी जाए।’
उन्होंने कहा कि इसलिए, भाजपा के राष्ट्रीय और केरल नेतृत्व ने इस मामले पर जो कहा, उसका कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘वे बजरंग दल या छत्तीसगढ़ सरकार को नियंत्रित करने में असमर्थ थे। यह दर्शाता है कि वे भी मिलकर काम कर रहे थे।’
भारतीय कैथोलिक बिशप सम्मेलन (सीबीसीआई) के अध्यक्ष एवं त्रिशूर के आर्कबिशप एंड्रयूज थजथ कहा कि उन्हें खुशी है कि ननों को जमानत मिल गई।
साथ ही उन्होंने दावा किया कि कुछ लोगों द्वारा झूठे आरोप लगाए जाने के बाद ननों को गिरफ्तार किया गया था, इसलिए उनके खिलाफ मामला जल्द से जल्द रद्द किया जाना चाहिए।
उन्होंने त्रिशूर में संवाददाताओं से कहा, ‘इसलिए, इसके लिए संबंधित सरकारों द्वारा आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।’
भाषा योगेश रंजन
रंजन

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