किशोर कुमार की पुण्यतिथि : समाधि पर उमड़े देश भर के प्रशंसक, दूध-जलेबी का भोग लगाया गया
किशोर कुमार की पुण्यतिथि : समाधि पर उमड़े देश भर के प्रशंसक, दूध-जलेबी का भोग लगाया गया
खंडवा/इंदौर, 13 अक्टूबर (भाषा) किशोर कुमार की 38वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को उनकी जन्मस्थली खंडवा में देश भर से उनके प्रशंसक जुटे और हरफनमौला कलाकार को उनके कालजयी गीत गुनगुना कर भावुक अंदाज में याद किया।
इन प्रशंसकों ने खंडवा में किशोर कुमार की समाधि पर श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। इनमें गुजरात के राजकोट शहर के रहने वाले द्वारकादास सोनी (70) भी शामिल थे।
सोनी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘किशोर कुमार जब जिंदा थे, तब भी मैं उनसे मिलने की आस में खंडवा पहुंचता था। मैं खंडवा में उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल हुआ था।’’
वह याद करते हैं कि जब खंडवा में किशोर कुमार का अंतिम संस्कार किया गया, तो उनके अंतिम दर्शन के लिए प्रशंसकों की कई किलोमीटर लम्बी कतार लग गई थी।
किशोर कुमार की याद में उनका मशहूर गीत ‘कोई हमदम ना रहा, कोई सहारा ना रहा’ गुनगुनाने के बाद सोनी भावुक हो गए। उन्होंने कहा, ‘‘खंडवा में किशोर कुमार की समाधि पर आकर लगता है, जैसे वह आज भी हमारे बीच मौजूद हैं।’’
इस बीच, किशोर कुमार के प्रशंसकों की स्थानीय संस्था ‘किशोर प्रेरणा मंच’ ने उनकी समाधि पर दूध-जलेबी का भोग लगाया।
खंडवा में मिलने वाली दूध-जलेबी किशोर कुमार को बेहद पसंद थी।
जब एक वक्त के बाद मुंबई से उनका मोहभंग होने लगा, तो वह जीवन के अंतिम पड़ाव को अपनी जन्मस्थली में गुजारने की ख्वाहिश के साथ कहते थे-‘दूध-जलेबी खाएंगे, खंडवा में बस जाएंगे।’
..लेकिन मुंबई में 13 अक्टूबर 1987 को उनके निधन के साथ ही उनकी यह ख्वाहिश अधूरी रह गई। जन्मस्थली से उनके गहरे लगाव के कारण उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही किया गया था।
खंडवा में चार अगस्त 1929 को पैदा हुए किशोर कुमार का वास्तविक नाम ‘आभास कुमार गांगुली’ था।
उन्होंने इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज में वर्ष 1946 से लेकर 1948 तक बी.ए. की पढ़ाई की थी। फिल्म जगत में करियर बनाने के लिए वह पढ़ाई अधूरी छोड़कर वर्ष 1948 में मुंबई चले गए थे।
भाषा हर्ष
मनीषा वैभव
वैभव

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