Live in Relationship Age Limit: इस उम्र के लोग भी रह सकते हैं ‘लिव-इन’, प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए हाईकोर्ट का अहम फैसला, कहा- ‘संविधान का अनुच्छेद 21’ देता है अधिकार

Live in Relationship Age Limit: इस उम्र के लोग भी रह सकते हैं ‘लिव-इन’, प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए हाईकोर्ट का अहम फैसला, कहा- 'संविधान का अनुच्छेद 21' देता है अधिकार

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  • Publish Date - December 5, 2025 / 02:11 PM IST,
    Updated On - December 5, 2025 / 03:17 PM IST

Live in Relationship Age Limit: इस उम्र के लोग भी रह सकते हैं ‘लिव-इन’, प्रेमी-प्रेमिकाओं के लिए हाईकोर्ट का अहम फैसला / Image: Symbolic

HIGHLIGHTS
  • दो बालिग अपनी मर्जी से 'लिव-इन' में रह सकते हैं
  • संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और निजी आज़ादी का अधिकार) को बताया
  • युगल को उनके परिवार से मिल रही जान से मारने की धमकी

जयपुर:  Live in Relationship Age Limit राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा कि दो बालिग व्यक्ति अपनी मर्जी से ‘लिव-इन’ में रह सकते हैं भले ही अभी उनकी शादी के लिए जरूरी कानूनी उम्र न हुई हो। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि किसी के संवैधानिक अधिकारों को इस आधार पर कम नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति अनूप ढांड ने कोटा निवासी 18 वर्षीय महिला और 19 वर्षीय पुरुष द्वारा सुरक्षा के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। महिला और पुरुष ने अदालत को बताया कि वे अपनी मर्जी से साथ रह रहे हैं। इस आदेश की प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध हुई।

Live in Relationship Age Limit इस युगल ने कहा कि उन्होंने 27 अक्टूबर 2025 को ‘लिव-इन एग्रीमेंट’ किया था। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि महिला के परिवार ने इस रिश्ते का विरोध किया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने कोटा पुलिस में इस बारे में शिकायत की तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिका का विरोध करते हुए लोक अभियोजक विवेक चौधरी ने कहा कि चूंकि युवक की उम्र 21 साल नहीं हुई है, जो पुरुषों के लिए शादी की न्यूनतम कानूनी उम्र है तो उसे ‘लिव-इन’ में रहने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

अदालत ने इस दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत जीवन और निजी आजादी के अधिकार को सिर्फ़ इसलिए नहीं नकारा जा सकता कि याचिकर्ताओं की शादी के लिए जरूरी कानूनी उम्र नहीं हुई है। न्यायाधीश ने आदेश में कहा, ‘‘सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह हर व्यक्ति के जीवन और आजादी की रक्षा करे।’’ उन्होंने कहा कि भारतीय कानून के तहत ‘लिव-इन’ पर रोक नहीं है और न ही इसे अपराध माना जाता है। उन्होंने भीलवाड़ा और जोधपुर (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक को याचिका में उल्लेखित तथ्यों का सत्यापन करने व जरूरत पड़ने पर युगल को जरूरी सुरक्षा देने का निर्देश दिया।

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Live in Relationship Age Limit पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने क्या फैसला सुनाया है?

Live in Relationship Age Limit पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने कहा कि बालिग व्यक्ति शादी की कानूनी उम्र न होने पर भी अपनी मर्जी से लिव-इन में रह सकते हैं।

न्यायालय ने लिव-इन के अधिकार को संविधान के किस अनुच्छेद के तहत रखा है?

न्यायालय ने लिव-इन के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद $21$ (जीवन और निजी आज़ादी का अधिकार) के तहत रखा है।

सुरक्षा मांगने वाले युवक और युवती की उम्र क्या थी?

सुरक्षा मांगने वाले युगल में युवती की उम्र $18$ वर्ष और युवक की उम्र $19$ वर्ष थी।

क्या भारतीय कानून के तहत 'लिव-इन' रिलेशनशिप एक अपराध है?

नहीं, न्यायाधीश ने आदेश में स्पष्ट किया है कि भारतीय कानून के तहत 'लिव-इन' पर रोक नहीं है और न ही इसे अपराध माना जाता है।

युगल ने सुरक्षा की मांग क्यों की थी?

युगल ने सुरक्षा की मांग इसलिए की थी क्योंकि महिला के परिवार ने इस रिश्ते का विरोध किया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी।