उपराज्यपाल ने डीसीपीसीआर को निधि आवंटन रोकने का आदेश कभी नहीं दिया: उच्च न्यायालय को बताया गया
उपराज्यपाल ने डीसीपीसीआर को निधि आवंटन रोकने का आदेश कभी नहीं दिया: उच्च न्यायालय को बताया गया
नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय को बताया कि उन्होंने सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोपों की जांच और विशेष ऑडिट होने तक दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) को निधि आवंटन रोकने के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया है।
उपराज्यपाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद के समक्ष यह दलील दी। न्यायमूर्ति प्रसाद डीसीपीसीआर की उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें सरकारी धन के दुरुपयोग के आरोपों की जांच और विशेष ऑडिट होने तक निधि के आवंटन को रोकने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
उपराज्यपाल के वकील ने कहा कि याचिका के साथ संलग्न ‘तथाकथित’ प्रेस विज्ञप्ति उपराज्यपाल द्वारा कभी जारी नहीं की गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘निर्देशों के अनुसार मैं बता रहा हूं कि उपराज्यपाल द्वारा निधि आवंटन को रोकने का कोई आदेश कभी पारित नहीं किया गया था। यह तथाकथित प्रेस विज्ञप्ति उपराज्यपाल द्वारा कभी जारी नहीं की गई है। यह काफी गंभीर मामला है।’’
न्यायमूर्ति प्रसाद ने उपराज्यपाल के वकील से इस संबंध में चार दिन के भीतर एक हलफनामा दाखिल करने को कहा और मामले को 25 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रेस विज्ञप्ति के कुछ हिस्सों ने “राजनीतिक रंग” ले लिया है।
न्यायाधीश ने टिप्पणी की थी, “मैंने कहा होता ‘ऑडिट, जारी रहे’। (लेकिन पृष्ठ) 154 ने राजनीतिक रंग ले लिया है। तभी मेरी समस्या शुरू होती है… सामान्य आधार और मकसद की समस्या (वहां है)।”
विचाराधीन हिस्से में डीसीपीसीआर के पूर्व अध्यक्ष अनुराग कुंडू और छह सदस्यों का उल्लेख किया गया था जो राजनीतिक रूप से आम आदमी पार्टी (आप) से जुड़े थे।
उपराज्यपाल के वकील ने कहा था कि अन्य राज्य अधिकारियों की सिफारिश पर कार्रवाई की गई थी।
पिछले साल, उपराज्यपाल सक्सेना ने जांच शुरू करने के लिए महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी और डीसीपीसीआर द्वारा सरकारी धन के कथित दुरुपयोग पर एक विशेष ऑडिट का आदेश दिया था।
डीसीपीसीआर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने उच्च न्यायालय को बताया था कि बाल अधिकार निकाय को धन का आवंटन रुक गया है।
भाषा
देवेंद्र प्रशांत
प्रशांत

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