लद्दाख के उपराज्यपाल ने प्रतिबंधों में चरणबद्ध ढील पर एजेंसियों के साथ चर्चा की
लद्दाख के उपराज्यपाल ने प्रतिबंधों में चरणबद्ध ढील पर एजेंसियों के साथ चर्चा की
लेह, चार अक्टूबर (भाषा) उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने शनिवार को लद्दाख में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और प्रतिबंधों में चरणबद्ध ढील दिये जाने पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि किसी भी ढील को सावधानीपूर्वक लागू किया जाएगा तथा नियमित सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों की बहाली के साथ सार्वजनिक सुरक्षा को संतुलित किया जाएगा।
लेह शहर में व्यापक हिंसा और फिर कर्फ्यू लगाए जाने के बाद, गुप्ता 24 सितंबर से दैनिक सुरक्षा समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। हिंसा में चार लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।
हिंसा लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची को विस्तारित करने के लिए आंदोलन कर रहे समूहों द्वारा आहूत बंद के दौरान हुई थी।
चार दिन पहले शहर में कर्फ्यू लगभग हटा लिया गया था, लेकिन निषेधाज्ञा अब भी लागू है।
तीन अक्टूबर को कक्षा आठ तक के स्कूल फिर से खोल दिए गए, लेकिन बाकी शैक्षणिक संस्थान बंद हैं। लेह शहर में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित हैं।
लद्दाख प्रशासन ने हिंसा की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे, लेकिन कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) और लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने न्यायिक जांच के आदेश दिए जाने और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक सहित हिरासत में लिए गए सभी लोगों की रिहाई होने तक, छह अक्टूबर को केंद्र के साथ होने वाली बातचीत से दूर रहने का फैसला किया है।
केडीए के सदस्य सज्जाद करगिली ने नयी दिल्ली में संवाददाताओं को बताया, ‘‘हमने गृह मंत्रालय को स्पष्ट कर दिया है कि कम से कम न्यायिक जांच का आदेश तो दिया ही जाना चाहिए। किसी मजिस्ट्रेट के पास केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को जवाबदेह ठहराने का अधिकार नहीं है। हम निष्पक्ष न्यायिक जांच चाहते हैं।’’
उन्होंने दावा किया कि लद्दाख में केंद्र शासित प्रदेश की स्थापना विफल रही है और ‘‘गोलीबारी की घटना पर जवाबदेही की कमी इसका उदाहरण है।’’
वह सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया और गैर सरकारी संगठनों ‘नेशनल अलायंस ऑफ पीपुल्स मूवमेंट्स’ (एनएपीएम) और ‘हम भारत के लोग’ द्वारा लद्दाख पर एक ‘‘तथ्यान्वेषी रिपोर्ट’’ जारी करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
भाषा प्रशांत सुभाष
सुभाष

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