मप्र : पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े अपशिष्ट को जलाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
मप्र : पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े अपशिष्ट को जलाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
धार, एक मार्च (भाषा) मध्यप्रदेश के धार जिले के पीथमपुर कस्बे में शनिवार को महिलाओं के एक समूह ने 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े अपशिष्ट को जलाने के विरोध में प्रदर्शन किया। एक दिन पहले ही इस अपशिष्ट को जलाने का परीक्षण शुरू हुआ है।
हालांकि, एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस द्वारा चर्चा करने के बाद प्रदर्शनकारियों ने आधे घंटे के भीतर ही धरना समाप्त कर दिया।
शुक्रवार दोपहर को पीथमपुर क्षेत्र में कुल 337 टन खतरनाक अपशिष्ट में से 10 टन अपशिष्ट को जलाने का परीक्षण शुरू हुआ। शुरुआती रिपोर्ट में संकेत मिले हैं कि वायु गुणवत्ता और अन्य निगरानी किए गए पैरामीटर सामान्य श्रेणी में हैं।
लेकिन, पीथमपुर में अपशिष्ट को जलाने का विरोध करने के लिए कई महिलाएं स्थानीय बस स्टैंड के पास एकत्रित हुईं। उन्होंने माथे पर काली पट्टी बांधी हुई थी और डॉ. बी.आर. आंबेडकर की तस्वीरें थामे हुए थीं।
धरने के दौरान प्रदर्शनकारी नेता मोनिका सोलंकी ने कहा, ‘1984 में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस लीक होने के कारण भोपाल गैस त्रासदी में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी। इस औद्योगिक आपदा के पीड़ितों की अस्थियों को भी कचरे के साथ भस्मक में जलाया जा रहा है।’
उन्होंने कहा, ‘हम पिछले कई वर्षों से इस कचरे को यहां जलाने का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इससे पीथमपुर के लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसलिए हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि इस कचरे को यहां से वापस ले जाया जाए।’
पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘हमने प्रदर्शनकारियों से संपर्क किया और उन्हें बताया कि जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर पीथमपुर में वैज्ञानिक और सुरक्षित तरीके से परीक्षण चल रहा है। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने 30 मिनट के भीतर धरना खत्म कर दिया।’
दो जनवरी को विशेष ट्रकों में 337 टन कचरा भोपाल से पीथमपुर लाए जाने के बाद से ही कई विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसके चलते भस्मीकरण स्थल के आसपास पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी तैनात की गई है।
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार इस कचरे का परीक्षण के तौर पर यह भस्मीकरण किया जा रहा है।
उच्च न्यायालय ने 18 फरवरी को पारित अपने आदेश में राज्य सरकार को 27 फरवरी को सभी प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए 10 मीट्रिक टन का पहला भस्मीकरण का परीक्षण करने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि यदि कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है, तो दूसरा परीक्षण चार मार्च को होगा, उसके बाद तीसरा परीक्षण 10 मार्च को होगा। इसके बाद, इसके परिणामों के आधार पर, उचित परीक्षणों के बाद, वे शेष कचरे का निपटान करना जारी रखेंगे और स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे।
उच्चतम न्यायालय ने 27 फरवरी को कचरे को स्थानांतरित करने और निपटाने के मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
आम जनता की आशंकाओं को दूर करते हुए, मध्यप्रदेश सरकार ने कहा है कि कचरे में अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ़थलीन अवशेष और ‘अर्ध-संसाधित’ अपशिष्ट शामिल हैं।
दो और तीन दिसंबर, 1984 की रात को हुई भोपाल गैस त्रासदी में यूनियन कार्बाइड कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का भयावह रिसाव हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 5,479 लोगों की मौत हो गई थी और हज़ारों लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा था। यह इतिहास की सबसे घातक औद्योगिक आपदाओं में से एक है।
पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में 1,250 इकाइयां हैं, जहां एक लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं, जिनमें दूसरे राज्यों से आए प्रवासी भी शामिल हैं।
भाषा
सं, दिमो, रवि कांत
रवि कांत

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