jammu kashmir cloudburst | Photo Credit: IBC24
नई दिल्ली: jammu kashmir cloudburst प्रकृति से खिलवाड़ कितना खतरनाक हो सकता है। इस साल के मॉनसून के कुछ हफ्तों ने ये फिर से याद दिला दिया है। उत्तरकाशी में प्रलयकारी विनाश के बाद कुदरत ने अब जम्मू में कहर ढाया है। बादल फटने के बाद यहां भयंकर तबाही मची है। उत्तर-पूर्व के राज्यों में बादल फटने से आई तबाही का मंजर पीछे छोड़ गया है कुछ नसीहतें। पर सवाल ये है कि क्या ये याद रहेगा हमें?
jammu kashmir cloudburst कहते हैं कि जब कुदरत नाराज होती है तो मनुष्यों के सारे अविष्कार खिलौने की तरह बिखर जाते हैं। जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ में बादल फटने से जो तबाही मची है उसे कुदरत का कहर कहना गलत नहीं होगा। 35 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कई डेडबॉडी मिल नहीं सकी है। 200 से ज्यादा लोग लापता हैं। दरअसल मचैल माता यात्रा का पहला पड़ाव होता है चशोटी गांव। वहीं पर बादल फटा है। जिससे प्रभावितों की संख्या ज्यादा हो गई। ये रूट जम्मू से किश्तवाड़ तक 210 किमी लंबा है और इसमें पद्दर से चशोटी तक 19.5 किमी की सड़क पर गाड़ियां जा सकती हैं। उसके बाद 8.5 किमी की पैदल यात्रा होती है। अब बाढ़ के चलते वहां जाम की स्थिति बन गई। PM मोदी ने भी इस आपदा में प्रभावितों लोगों के प्रति संवेदना जताई है।
इधर हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में बुधवार रात भारी बारिश हुई। कुल्लू और शिमला में बुधवार शाम को भी 4 जगह बादल फटे। कुल्लू के श्रीखंड और तीर्थन वैली, शिमला जिला के फाचा के नांटी गांव और काशापाठ में बादल फटने के बाद नदी-नालों में बाढ़ आ गई। अचानक आई बाढ़ में फंसे 4 लोगों को सेना ने रेस्क्यू किया। हिमाचल आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक, पिछले 24 घंटों में बारिश और उससे जुड़ी घटनाओं में 396 सड़कें बंद हो गईं हैं।
किश्तवाड़ में रेस्क्यू जारी है। उत्तराखंड के धराली में आई आपदा की तस्वीरों से देश अभी उभरा भी नहीं था कि किश्तवाड़ में आई आपदा ने हर किसी को झकजोर दिया।