ममता ने हिंदू-मुस्लिमों को बांटा, मुसलमानों की भलाई से ज्यादा नुकसान किया | Mamata divides Hindu-Muslims, does more harm than muslims' well-being

ममता ने हिंदू-मुस्लिमों को बांटा, मुसलमानों की भलाई से ज्यादा नुकसान किया

ममता ने हिंदू-मुस्लिमों को बांटा, मुसलमानों की भलाई से ज्यादा नुकसान किया

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:59 PM IST, Published Date : January 27, 2021/11:41 am IST

(प्रदीप्त तापधर)

कोलकाता, 27 जनवरी (भाषा) इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) का गठन कर पश्चिम बंगाल में सियासी हलचल पैदा करने वाले मुस्लिम दरगाह फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का मानना है कि राज्य में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने हिंदू-मुस्लिम को बांटकर मुसलमानों की भलाई से ज्यादा उनका नुकसान किया है।

राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सिद्दीकी (34) कांग्रेस-माकपा गठबंधन के साथ-साथ एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ भी गठबंधन करने का प्रयास कर रहे हैं।

सिद्दीकी का कहना है कि उनका नवगठित राजनीतिक संगठन राज्य में ‘किंगमेकर’ साबित होगा जिसमें लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं।

वह इस आरोप को भी निराधार मानते हैं कि उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने के लिए चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया।

सिद्दीकी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिये एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘पिछले दस वर्षों में तृणमूल कांग्रेस सरकार ने केवल मुसलमानों और दलितों को मूर्ख बनाया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके लिए कुछ नहीं किया है। उन्होंने केवल एक धारणा बनाई हुई है कि यह सरकार मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत कुछ कर रही है।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘मुस्लिम तुष्टिकरण’’ की धारणा के कारण हिंदू और मुसलमानों के बीच दरार पैदा हो गई है।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा ने इस धारणा का फायदा उठाने का काम किया कि मुसलमानों को सब कुछ मिल रहा है। यह धारणा बनाकर ममता बनर्जी ने मुसलमानों की भलाई कम, नुकसान ज्यादा किया है।’’

राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।

इन चुनावों से पहले गठबंधनों के बारे में बात करते हुए सिद्दीकी ने तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावनाएं काफी ‘‘कम’’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा का मुकाबला करने के लिए हमने तृणमूल कांग्रेस समेत सभी दलों के एक महागठबंधन का प्रस्ताव रखा था। लेकिन हमारे प्रस्ताव पर तृणमूल कांग्रेस की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया है। इसलिए अब संभावना बहुत कम है।’’

सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि चुनाव लड़ने की उनकी घोषणा के बाद, राज्य सरकार ने आईएसएफ समर्थकों को झूठे मामलों में फंसाकर उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (टीएमसी) को उनके अहंकार का करारा जवाब मिलेगा।’’

सिद्दीकी ने हालांकि कहा कि कांग्रेस-वाम गठबंधन और एआईएमआईएम के साथ गठबंधन की संभावनाएं बेहतर है। उन्होंने कहा कि उनके संगठन के दरवाजे तृणमूल कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर सभी के लिए खुले हैं।

उन्होंने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि उनका संगठन भाजपा की ‘बी-टीम’ है। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी ने ओवैसी की पार्टी के खिलाफ भी इस तरह का आरोप लगाया था।

सिद्दीकी ने कहा, ‘‘हम यहां केवल मुस्लिम वोटों के लिए नहीं बल्कि पिछड़े समुदाय के वोटों को पाने के लिए भी आये हैं। अगर तृणमूल कांग्रेस अल्पसंख्यकों के लिए काम करती, तो हमें चुनाव मैदान में उतरने की जरूरत नहीं होती। लोकतंत्र में चुनाव लड़ने का अधिकार हर किसी को है।’’

उन्होंने बनर्जी पर राज्य में भाजपा के उत्थान के लिए रास्ता बनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘ममता बनर्जी ने 1998 में भाजपा के साथ गठबंधन किया। वह 2006 तक भाजपा के साथ गठबंधन में थीं और एक केंद्रीय मंत्री भी थीं। वह 2005 में बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ के मुद्दे को उठाने वाली पहली नेता थीं। भाजपा अब ऐसा कर रही है। इससे हमारी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वाले लोगों के असली रंग का पता चलता है।’’

जब उनसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती समारोह के दौरान विक्टोरिया मेमोरियल में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाये जाने की घटना के बारे में पूछा गया तो सिद्दीकी ने कहा कि ममता बनर्जी को इसे नजरअंदाज करना चाहिए था।

उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर सीएए और एनआरसी के विरोध के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय को ‘‘मूर्ख’’ बनाने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया।

सिद्दीकी ने कहा, ‘‘वे (टीएमसी) खुद को केवल मुसलमानों के उद्धारकों के रूप में दिखाना चाहते हैं।’’

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव

 

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