पहलगाम हमले के बाद से कई ‘अहम सवाल अनुत्तरित’ हैं : दीपांकर भट्टाचार्य

पहलगाम हमले के बाद से कई ‘अहम सवाल अनुत्तरित’ हैं : दीपांकर भट्टाचार्य

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Modified Date: May 14, 2025 / 08:37 PM IST
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Published Date: May 14, 2025 8:37 pm IST

नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने बुधवार को कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद के घटनाक्रम पर कई ‘‘अहम प्रश्न अनुत्तरित’’ हैं।

भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किये गए दावों पर ‘‘स्पष्ट रूप से चुप्पी’’ साधे हुए हैं।

भाकपा (माले) लिबरेशन की साप्ताहिक पत्रिका ‘एमएल अपडेट’ में प्रकाशित संपादकीय में पार्टी महासचिव ने कहा कि इस ऑपरेशन ने हमें एक बार फिर सिखाया है कि किसी देश को कूटनीतिक विकल्पों का उपयोग किए बिना युद्ध में नहीं उतरना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘पहलगाम आतंकवादी हमले के तीन सप्ताह बाद भी हमारे सामने कई अहम प्रश्न अनुत्तरित हैं।’’

भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी ने इन तीन सप्ताह में दो अहम भाषण दिए हैं, बिहार के मधुबनी में दिये पहले भाषण को ‘‘चुनावी रैली’’ ही कहा जा सकता है, जहां उन्होंने दुनिया के किसी भी कोने में रह रहे आतंकवादियों के खात्मे का संकल्प लिया, तथा दूसरा भाषण सैन्य कार्रवाई रोके जाने के बाद राष्ट्र के नाम टेलीविजन संबोधन था।

भाकपा (माले) लिबरेशन के नेता ने दावा किया, ‘‘उनके तमाम बयानबाजी के बावजूद उनकी चुप्पी उनके संकल्प पर अधिक हावी रही।’’

उन्होंने कहा कि सरकार की घोषणाओं के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाना था और सरकार का दावा है कि न्याय हुआ है।

भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘लेकिन हमें यह बताया गया है कि पाकिस्तान में कई आतंकवादी शिविर नष्ट कर दिए गए हैं और कई ‘खूंखार आतंकवादियों’ का सफाया कर दिया गया है, लेकिन हम पहलगाम नरसंहार के अपराधियों के बारे में कुछ नहीं जानते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ट्रंप और वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों द्वारा किए गए दावों के बारे में मोदी स्पष्ट रूप से चुप रहे हैं। उनकी चुप्पी अमेरिकी दावों को ही बल देती है… अमेरिकी हस्तक्षेप के बढ़ते संकेतों और दावों के बारे में मोदी की चुप्पी भारत की विदेश नीति के भविष्य के बारे में कोई विश्वास या स्पष्टता नहीं जगाती है, वह भी ऐसे समय में जब भारत इस क्षेत्र में लगातार अलग-थलग पड़ता जा रहा है, जबकि अमेरिका-इजराइल धुरी पर भारत की निर्भरता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।’’

भट्टाचार्य ने संसद का तत्काल विशेष सत्र बुलाने की विपक्ष की मांग भी दोहराई।

भाषा धीरज सुरेश

सुरेश

 

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