कई गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने मतदाता सूची में नाम नहीं होने का दावा किया

कई गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने मतदाता सूची में नाम नहीं होने का दावा किया

कई गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने मतदाता सूची में नाम नहीं होने का दावा किया
Modified Date: May 25, 2024 / 09:03 pm IST
Published Date: May 25, 2024 9:03 pm IST

(जहरा शफी और तारिक सोफी)

मट्टन (जम्मू कश्मीर), 25 मई (भाषा) कई गैर-प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने नाराजगी जताते हुए दावा किया कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था और इसे उस समूह के साथ एक ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ घटना करार दिया जो 1990 के दशक में आतंकवाद के दौर के बावजूद कश्मीर क्षेत्र में ही रहता रहा।

यह मामला जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग-राजौरी लोकसभा क्षेत्र में सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बनाये गये एक मतदान केंद्र से संबंधित है, जहां शनिवार को आम चुनाव के छठे दौर में मतदान हुआ।

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अनंतनाग जिले में रहने वाले इस समुदाय के सदस्यों द्वारा किए गए दावों पर निर्वाचन अधिकारियों की ओर से तुरंत कोई टिप्पणी नहीं मिल सकी है।

सरलाजी टिक्कू, एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी और उस समूह की सदस्य हैं जो 1990 के दशक में हजारों कश्मीरी पंडितों की तरह जम्मू और देश के अन्य स्थानों पर नहीं गए थे।

टिक्कू ने कहा, ‘‘मेरा नाम सूची में नहीं होने के कारण मुझे वोट देने के अधिकार से वंचित कर दिया गया।’’

कई लोगों ने कहा कि उनका जन्म और पालन-पोषण कश्मीर (अनंतनाग) में हुआ है और उनके पास आधार और चुनाव कार्ड हैं, लेकिन फिर भी उन्हें मतदान केंद्र पर वोट डालने की ‘‘अनुमति नहीं’’ दी गई।

टिक्कू और कई अन्य लोगों ने कहा कि उन्होंने मतदाता सूची से नाम गायब होने के मुद्दे पर अनंतनाग के उपायुक्त-सह-रिटर्निंग अधिकारी से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि आश्वासन दिया गया था कि मामला सुलझा लिया जाएगा लेकिन ‘‘कुछ नहीं किया गया’’।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मट्टन की मूल निवासी हूं और यहीं पैदा और बड़ी हुई हूं। हमने अपना घर नहीं छोड़ा। मेरे पास एक मतदाता पर्ची और एक चुनाव कार्ड है और मैं पहले भी अपना वोट डाल चुकी हूं। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज मैं अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हूं। मैं दुखी हूं।’’

उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में हर किसी को वोट देने का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस देश के नागरिक हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उपायुक्त से बात की और उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वह हमारी समस्या का समाधान करेंगे लेकिन कुछ नहीं हुआ। मेरी तरह कई लोग हैं जिन्हें आज वोट डालने की अनुमति नहीं दी गई।’’

दीपक कुमार ने कहा कि उनके परिवार में छह सदस्य हैं लेकिन केवल एक ही वोट डाल सका।

दीपक कुमार ने मतदान केंद्र पर अपना मतदाता पहचान पत्र दिखाते हुए कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि हमारे साथ क्या हो रहा है। मैं मट्टन का रहने वाला हूं। मेरे पास मेरा राशन कार्ड और अन्य सभी सबूत हैं। यहां रहने के लिए हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। यदि ऐसा है तो सरकार को हमें स्पष्ट बताना चाहिए ताकि हम कहीं और पलायन कर सकें।’’

विनोद कुमार का नाम भी मतदाता सूची से गायब था। उन्होंने कहा, ‘‘मैं पहले भी अपना वोट डाल चुका हूं। लेकिन आज हम मतदान करने की अनुमति नहीं दी गई। मुझे कारण नहीं पता लेकिन अधिकारियों ने हमें स्पष्ट रूप से बताया कि हम अपना वोट नहीं डाल सकते।’’

उन्होंने कहा कि उनके पिता राजनीति में रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं। लेकिन दुख की बात है कि हम अपना वोट नहीं दे सके।’’

प्रमुख कश्मीरी पंडित नेता रवींदर पंडिता ने मतदाता सूची से अपने समुदाय के सदस्यों के नाम बाहर किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया।

उन्होंने निर्वाचन आयोग और जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से केंद्र शासित प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मतदाता सूचियों को संशोधित करने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, ‘‘(कश्मीर) घाटी में हमारा वोट मायने रखता है। हमें मातृभूमि के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने से दूर नहीं रखा जा सकता।’’

भाषा

देवेंद्र माधव

माधव


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