महिलाओं, बच्चों की समस्याओं से निपटने के लिए महिला, बाल कल्याण मंत्रालय ने तीन पहलुओं पर ध्यान दिया

महिलाओं, बच्चों की समस्याओं से निपटने के लिए महिला, बाल कल्याण मंत्रालय ने तीन पहलुओं पर ध्यान दिया

महिलाओं, बच्चों की समस्याओं से निपटने के लिए महिला, बाल कल्याण मंत्रालय ने तीन पहलुओं पर ध्यान दिया
Modified Date: December 27, 2022 / 04:55 pm IST
Published Date: December 27, 2022 4:55 pm IST

उज्मी अतहर

नयी दिल्ली, 27 दिसंबर (भाषा) महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने इस साल अपनी विभिन्न योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और उनकी निगरानी के लिए तीन महत्वपूर्ण श्रेणियों ‘सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0’, ‘मिशन शक्ति’ और ‘मिशन वात्सल्य’ पर अपना पूरा-ध्यान केंद्रित किया।

‘सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0’ ने बच्चों, किशोरियों और गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली माताओं में पोषण का ख्याल रखा; शिशुओं के बचपन और बाद में उनकी शिक्षा का ध्यान रखा, वहीं ‘मिशन शक्ति’ ने उनकी सुरक्षा, रक्षा और महिला सशक्तिकरण पर ध्यान दिया। ‘मिशन वात्सल्य’ ने बच्चों की रक्षा/सुरक्षा और कल्याण को अपना लक्ष्य बनाया।

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पिछले साल मंत्रालय ने अपनी सभी महत्वपूर्ण योजनाओं को इन तीन विस्तृत और महत्वपूर्ण श्रेणियों में बांट दिया ताकि उनका बेहतर क्रियान्वयन हो सके।

‘मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0’ के तहत मंत्रालय ने एक अगस्त को दिशा-निर्देश जारी किए जिसमें दो लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों को मजबूत, आधुनिक बनाने और वहां पोषण तथा शिक्षा की गुणवत्ता के बेहतर करने को कहा गया।

अभी तक, देश की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 11.22 लाख स्मार्ट फोन दिए गए हैं।

इसके अलावा बच्चों के विकास पर लगातार नजर रखने के लिए राज्यों और संघ शासित प्रदेशों द्वारा 12.65 लाख विकास निगरानी मशीनें जैसे इंफेंटोमीटर, स्टेडियोमीटर, मां और शिशु के लिए वजन तोलने की मशीनें, बच्चों के वजन तोलने वाली मशीनें खरीदी गई हैं।

महिलाओं और बच्चों में पोषण के स्तर पर लगातार और तत्काल नजर रखने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के स्मार्टफोन में ‘पोषण ट्रैकर’ ऐप डाला गया है। आंकड़ों के अनुसार, 31 अक्टूबर तक इसके करीब 9.84 करोड़ लाभार्थी थे।

साथ ही ‘पोषण ट्रैकर’ को आधार नंबर से जोड़ा गया है ताकि सबका समुचित ख्याल रखा जा सके और आपूर्ति सेवा बेहतर बनायी जा सके। हालांकि, इसे लेकर सिविल अधिकार समूहों आदि ने चिंता भी जतायी थी कि जिनके (बच्चों) पास आधार कार्ड नहीं हैं, उनके पोषण को नजरअंदाज किए जाने का अंदेशा बना रहेगा।

जिसके बाद महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि पोषण योजनाओं का लाभ पाने के लिए बच्चे का आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है और ऐसे में ‘पोषण ट्रैकर’ ऐप पर माता के आधार कार्ड की मदद से पंजीकरण कराया जा सकता है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बच्चों, गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली माताओं में पोषण का स्तर बेहतर बनाने के लिए आंगनवाड़ी केन्द्र से उन्हें दिए जाने वाले राशन में सरकार आयुष के कुछ तत्व/सामग्री जोड़ने पर विचार कर रही है।

अधिकारी ने बताया, आयुष से जुड़ी यह परियोजना गुजरात और कर्नाटक में पायलट आधार पर चल रही है और वहां से अच्छा परिणाम भी मिल रहा है।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सरकार ने इस साल आपात स्थिति में मदद मुहैया कराने के लिए विभिन्न हेल्पलाइन नंबर जैसे 112, 181 और 1098 भी शुरू किए हैं।

जहां पूरे देश में आपात स्थिति में व्यक्ति 112 पर कॉल कर सकता है वहीं बच्चों से जुड़ी बातों के लिए टोलफ्री नंबर 1098 पर कॉल कर सकते हैं।

‘मिशन शक्ति’ के तहत दो योजनाओं ‘संबल और सामर्थ्य’ पर जोर दिया गया ताकि महिलाओं की रक्षा, सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण किया जा सके।

हिंसा से प्रभावित या जरूरतमंद महिलाओं की मदद करने वाले एकल केन्द्रों ने 30 सितंबर तक 88 लाख से ज्यादा महिलाओं की मदद की है। मंत्रालय ने बेंगलुरु स्थित निम्हांस के साथ मिलकर ‘स्त्री मनोरक्षा परियोजना’ भी शुरू की है जिसके तहत ‘वन स्टॉप सेंटर्स’ के लिए कर्मचारियों और काउंसिलर को मनो-सामाजिक प्रशिक्षण दिया जाता है।

वहीं, 2012 में पैरामेडिकल छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार कांड के बाद बनाये नए निर्भया फंड की 70 फीसदी राशि का उपयोग नवंबर तक किया जा चुका है। फंड को बनाये जाने के समय से लेकर 2021-22 तक उसमें 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि आयी जिसमें से 4,200 करोड़ रुपये का उपयोग हो चुका है।

‘मिशन वात्सल्य’ के तहत किशोर न्याय मॉडल संशोधन नियम, 2022 और गोद लेने संबंधी नियम, 2022 को सितंबर में अधिसूचित किया गया जिसके तहत बच्चे की सुरक्षा, सशक्तिकरण और गोद लेने संबंधी आदेश जारी करने आदि का अधिकारी जिलास्तर पर जिला मजिस्ट्रेट को दिया गया।

नये नियमों के कारण जिला अदालतों में गोद लेने की लंबित अर्जियों की संख्या बढ़ने पर मंत्रालय ने कहा कि नये नियम लागू होने के बाद से गोद लेने की लंबित अर्जियों में कमी आयी है।

भाषा अर्पणा माधव

माधव


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