मीरवाइज उमर फारूक ने ‘एक्स’ पर अपनी प्रोफाइल से ‘हुर्रियत अध्यक्ष’ पदनाम हटाया

मीरवाइज उमर फारूक ने ‘एक्स’ पर अपनी प्रोफाइल से ‘हुर्रियत अध्यक्ष’ पदनाम हटाया

मीरवाइज उमर फारूक ने ‘एक्स’ पर अपनी प्रोफाइल से ‘हुर्रियत अध्यक्ष’ पदनाम हटाया
Modified Date: December 26, 2025 / 01:14 pm IST
Published Date: December 26, 2025 1:14 pm IST

श्रीनगर, 26 दिसंबर (भाषा) कश्मीर घाटी में प्रमुख धार्मिक नेता और उदारवादी अलगाववादी चेहरा मीरवाइज उमर फारूक ने ‘एक्स’ पर अपने सत्यापित अकाउंट के प्रोफाइल से अपना पदनाम ‘चेयरमैन ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ हटा दिया।

मीरवाइज ने कहा कि उन्हें यह बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा कहा। उन्होंने कहा कि उनके पास इसके अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत हुर्रियत के घटक संगठनों पर लगे प्रतिबंध के मद्देनजर उनका अकाउंट बंद कर दिया जाएगा।

बृहस्पतिवार शाम को मीरवाइज के ‘एक्स’ हैंडल में संपादित ‘बायो’ में केवल उसके नाम और मूल स्थान का विवरण है। मीरवाइज के दो लाख से ज्यादा फॉलोअर हैं।

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मीरवाइज ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘कुछ समय से अधिकारी मुझ पर दबाव डाल रहे थे कि मैं हुर्रियत अध्यक्ष के रूप में अपने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) हैंडल में बदलाव करूं क्योंकि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सभी घटक, जिनमें मेरे नेतृत्व वाली अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल है, यूएपीए के तहत प्रतिबंधित कर दिए गए हैं जिससे हुर्रियत एक प्रतिबंधित संगठन बन गया है और ऐसा नहीं करने पर वे मेरा हैंडल हटा देंगे।’’

मीरवाइज ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘ऐसे समय में जब सार्वजनिक स्थान और संचार के साधन बहुत सीमित हैं, यह मंच मेरे लिए अपने लोगों तक पहुंचने और हमसे जुड़े मुद्दों पर अपने विचार उनसे एवं बाहरी दुनिया से साझा करने के लिए उपलब्ध कुछ गिने-चुने साधनों में से एक है। ऐसी परिस्थितियों में यह एक मजबूरी में चुना गया विकल्प था….. जिसे मुझे चुनना पड़ा।’’

मीरवाइज के संगठन ‘अवामी एक्शन कमेटी’ को केंद्र सरकार ने कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंधित कर दिया है। संगठन टिप्पणी के लिए तुरंत उपलब्ध नहीं था।

वर्ष 1993 में गठित ‘ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस’ (एपीएचसी) जम्मू कश्मीर में अलगाववादी संगठनों का एक समूह है, जो बड़े पैमाने पर बंद और राजनीतिक गोलबंदी के समन्वय के लिए पर्याप्त प्रभाव रखता था।

हालांकि, संगठन की पकड़ पिछले दशक में कई कारणों से कमजोर हुई, जिसमें आंतरिक कलह और बाद में केंद्र द्वारा अलगाववादी समूहों पर कड़ा रुख अपनाना शामिल है।

वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद केंद्र ने एपीएचसी के अधिकतर घटक संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद इसके कई वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार किया गया, सख्त कानूनों के तहत मामला दर्ज किया गया या उन्होंने सार्वजनिक गतिविधियों से पूरी तरह दूरी बना ली।

भाषा सुरभि मनीषा

मनीषा


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