वैवाहिक मामलों में मध्यस्थता की अवधारणा को लेकर गलतफहमी है : न्यायालय

वैवाहिक मामलों में मध्यस्थता की अवधारणा को लेकर गलतफहमी है : न्यायालय

वैवाहिक मामलों में मध्यस्थता की अवधारणा को लेकर गलतफहमी है : न्यायालय
Modified Date: June 26, 2025 / 05:24 pm IST
Published Date: June 26, 2025 5:24 pm IST

नयी दिल्ली, 26 जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वैवाहिक मामलों में मध्यस्थता की अवधारणा के बारे में ‘‘गलतफहमी’’ है और अक्सर मध्यस्थता का मतलब यह माना जाता है कि दोनों पक्षों को एक साथ रहना होगा।

न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह ने एक स्थानांतरण याचिका पर यह टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने कहा, ‘‘वैवाहिक मामलों में हमने पाया है कि मध्यस्थता की अवधारणा को लेकर गलतफहमी है।’’

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उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही हम मध्यस्थता की बात करते हैं, उन्हें लगता है कि हम उन्हें साथ रहने के लिए कह रहे हैं। हमें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि वे साथ हैं या अलग। हम बस मामले का हल चाहते हैं। हम चाहेंगे कि वे साथ रहें…।’’

उच्चतम न्यायालय ने वाणिज्यिक अदालतें अधिनियम, 2015 का उल्लेख किया, जिसमें मुकदमा दायर करने से पहले मध्यस्थता और समाधान की प्रक्रिया का प्रावधान है।

पीठ ने कहा, ‘‘वाणिज्यिक अदालतें अधिनियम में भी आपको इस प्रक्रिया से गुजरना होता है।’’

भाषा गोला मनीषा

मनीषा


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