प्रशासन द्वारा मस्जिद ढहाए जाने का मामला, सपा और कांग्रेस ने की न्यायिक जांच की मांग..जानिए पूरा मामला | Mosque demolition case: SP and Congress demand judicial probe

प्रशासन द्वारा मस्जिद ढहाए जाने का मामला, सपा और कांग्रेस ने की न्यायिक जांच की मांग..जानिए पूरा मामला

प्रशासन द्वारा मस्जिद ढहाए जाने का मामला, सपा और कांग्रेस ने की न्यायिक जांच की मांग..जानिए पूरा मामला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:24 PM IST, Published Date : May 20, 2021/1:53 pm IST

बाराबंकी (उप्र), 20 मई (भाषा) बाराबंकी के रामसनेहीघाट क्षेत्र में प्रशासन द्वारा एक मस्जिद ढहाए जाने के मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गयी हैं। बृहस्पतिवार को सपा के एक प्रतिनिधिमण्डल ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा, जबकि जिला प्रशासन ने घटनास्थल पर जा रहे कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को रास्ते में ही रोक दिया।

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने ‘भाषा’ को बताया कि उनकी अगुवाई में पार्टी का एक प्रतिनिधिमडल रामसनेहीघाट जाकर मौका मुआयना करना और स्थानीय लोगों से बातचीत कर हालात की जानकारी लेना चाहता था, मगर रास्ते में ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया। बाद में सभी नेताओं को वापस लौटा दिया गया।

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लल्लू ने बताया कि उन्होंने रास्ता रोकने वाले अधिकारियों से जिरह की, ‘‘ उच्च न्यायालय की रोक के बावजूद आखिर किस कानून के तहत 100 साल पुरानी मस्जिद को जमींदोज कर दिया गया। क्या देश में अलग-अलग कानून लागू हैं और क्या प्रशासन की नजर में उच्च न्यायालय के आदेश का कोई मोल नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि असंवैधानिक तरीके से मस्जिद गिरा कर भावनाओं को आहत करने वाले अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कर मामले की उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराई जाए और मस्जिद का पुनर्निर्माण कराया जाए। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व सांसद पीएल पुनिया, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और पूर्व विधायक राजलक्ष्मी वर्मा भी शामिल थे।

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इसके पूर्व, समाजवादी पार्टी (सपा) ने मस्जिद को ढहाए जाने की कड़ी निंदा करते हुए संबंधित उपजिलाधिकारी तथा अन्य सहयोगी अफसरों को तत्काल निलंबित करने, मुकदमा दर्ज करने और पूरे प्रकरण की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की। सपा के एक प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्पतिवार को जिलाधिकारी आदर्श सिंह से मुलाकात कर उन्हें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल विधान परिषद सदस्य राजू यादव ने ‘भाषा’ को बताया कि ज्ञापन में राम सनेही घाट तहसील के सुमेरगंज कस्बे में स्थित 100 साल से ज्यादा पुरानी मस्जिद को उप जिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल द्वारा अनाधिकृत तरीके से ढहाने की कार्यवाही कराए जाने की कड़ी निंदा की गई है।

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ज्ञापन में कहा गया है कि वह मस्जिद सुन्नी वक्फ बोर्ड की संपत्ति के तौर पर दर्ज है और मस्जिद ध्वस्त करने की कार्रवाई से पहले वक्फ बोर्ड को न तो कोई नोटिस दी गई और न ही उसे पक्षकार बनाया गया। उप जिलाधिकारी ने वक्फ अधिनियम का उल्लंघन करते हुए खुद अपने ही यहां वाद दायर कर ध्वस्तीकरण का फैसला सुना दिया, जबकि वक्फ से संबंधित सभी मामलों, विवादों और शिकायतों की सुनवाई के लिए वक्फ अधिकरण बना हुआ है।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी और कोरोना कर्फ्यू को देखते हुए किसी भी तरह के ध्वस्तीकरण कार्य पर आगामी 31 मई तक रोक लगा दी थी, लेकिन न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए स्थानीय प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर मस्जिद को शहीद कर दिया और वहां रखे पवित्र ग्रंथों का अपमान किया।

ज्ञापन में मांग की गई है कि मस्जिद को असंवैधानिक तरीके से ढहाने का काम करने वाले उप जिलाधिकारी दिव्यांशु पटेल और उनके सहयोगी अफसरों को तत्काल निलंबित कर मुकदमा दर्ज करके दंडित किया जाए। साथ ही इस पूरे प्रकरण की उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराई जाए।

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गौरतलब है कि रामसनेहीघाट तहसील के सुमेरगंज कस्बे में उप जिलाधिकारी आवास के ठीक सामने स्थित एक पुरानी मस्जिद को स्थानीय प्रशासन ने गत 17 मई की शाम को कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के बीच ध्वस्त करा दिया था।

जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने मस्जिद को ‘अवैध आवासीय परिसर’ करार देते हुए कहा था कि इस मामले में संबंधित पक्षकारों को पिछली 15 मार्च को नोटिस भेजकर स्वामित्व के संबंध में सुनवाई का मौका दिया गया था लेकिन परिसर में रह रहे लोग नोटिस मिलने के बाद फरार हो गए, जिसके बाद तहसील प्रशासन ने 18 मार्च को परिसर पर कब्जा हासिल कर लिया।

उन्होंने दावा किया था कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने इस मामले में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे गत दो अप्रैल को निस्तारित कर दिया था। इससे यह साबित हुआ कि वह निर्माण अवैध है। इस आधार पर रामसनेहीघाट उप जिलाधिकारी की अदालत में न्यायिक प्रक्रिया के तहत मुकदमा दायर किया गया और अदालत द्वारा पारित आदेश पर 17 मई को ध्वस्तीकरण कर दिया गया।

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस वारदात की कड़ी निंदा करते हुए कहा था कि जिला प्रशासन ने 100 साल पुरानी मस्जिद गरीब नवाज को असंवैधानिक तरीके से जमींदोज कर दिया। उसने कहा कि इस मामले के दोषी अधिकारियों को निलंबित कर मामले की उच्च न्यायालय के किसी सेवारत न्यायाधीश से जांच कराई जाए और मस्जिद का पुनर्निर्माण कराया कर उसे मुसलमानों के हवाले किया जाए।

उधर, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी इसकी कड़ी निंदा करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की थी। बोर्ड ने यह भी कहा था कि वह उच्च न्यायालय की रोक के बावजूद मस्जिद ढहाए जाने के असंवैधानिक कृत्य के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।