मुखर्जी की पुत्री हैं उनकी डायरियों की संरक्षक, उनके प्रकाशन के बारे में करेंगी फैसला

मुखर्जी की पुत्री हैं उनकी डायरियों की संरक्षक, उनके प्रकाशन के बारे में करेंगी फैसला

मुखर्जी की पुत्री हैं उनकी डायरियों की संरक्षक, उनके प्रकाशन के बारे में करेंगी फैसला
Modified Date: November 29, 2022 / 08:38 pm IST
Published Date: September 2, 2020 12:54 pm IST

(त्रिशा मुखर्जी)

नयी दिल्ली, दो सितंबर (भाषा) पूर्व राष्ट्रपति और लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे दिवंगत प्रणब मुखर्जी अपने पांच दशक के राजनीतिक सफर के दौरान लगभग हर दिन डायरी लिखते रहे थे। उन्होंने अपनी पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी को उन डायरियों का संरक्षक बनाया और उन्हें प्रकाशित करने का फैसला उन पर ही छोड़ दिया था।

शर्मिष्ठा ने बुधवार को पीटीआई भाषा से कहा, ‘उन्होंने अपनी डायरियां मुझे दे दी थीं और यह मेरे विवेक पर छोड़ दिया कि उन्हें प्रकाशित किया जाए या नहीं।’

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मुखर्जी के करीबी मित्रों के अनुसार प्रति दिन डायरी लिखने के कारण मुखर्जी की याददाश्त तीक्ष्ण थी।

अनुभवी पत्रकार जयंत घोषाल ने कहा, ‘मैंने उनसे एक बार पूछा कि उनकी डायरी का भविष्य क्या होगा और उन्होंने कहा था कि वह उन्हें अपनी पुत्री को दे देंगे … क्योंकि बहुत सारे विवाद हो सकते हैं। उन्होंने जो कुछ भी सोचा था, उसे अपनी डायरी में लिखा था … जो चीजें रिकॉर्ड से बाहर थीं लेकिन वह अपनी मृत्यु से पहले उसे प्रकाशित नहीं करना चाहते थे। ‘

घोषाल 1985 से ही मुखर्जी से जुड़े थे। उन्होंने कहा कि मुखर्जी को इंदिरा गांधी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने के समय से ही डायरी लिखने की आदत थी और राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद भी उन्होंने लिखना जारी रखा।

एक अन्य वरिष्ठ पत्रकार और लंबे समय तक मित्र रहे गौतम लाहिड़ी ने पीटीआई भाषा से कहा कि सात बार सांसद रहे मुखर्जी हर दिन डायरी लिखते थे लेकिन वह दो दिन पहले की घटनाओं के बारे में लिखते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘एक बार मैंने उनसे पूछा कि उनकी बेहतरीन याददाश्त का राज़ क्या है, और उन्होंने मुझे बताया कि वह उस दिन की घटना के बारे में नहीं, बल्कि दो दिन पहले जो कुछ हुआ, उसके बारे में डायरी लिखते हैं। मैं उसे याद रखने की कोशिश करता हूं।’’

भाषा

अविनाश नरेश

नरेश


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