नगालैंड: दो दशक बाद कांग्रेस फिर सुर्खियों में आई, 20 साल बाद निकाय चुनाव हुए
नगालैंड: दो दशक बाद कांग्रेस फिर सुर्खियों में आई, 20 साल बाद निकाय चुनाव हुए
(नारायण बहादुर)
कोहिमा, 25 दिसंबर (भाषा) इस साल नगालैंड में महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव देखने को मिला जब राज्य में दशकों से अपने आप को मजबूत स्थिति में लाने का प्रयास कर रही कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में प्रदेश की एकमात्र सीट जीतकर वापसी की। इसके अलावा, 20 साल के लंबे अंतराल के बाद शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के चुनाव हुए जिसमें महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया था।
इस साल की शुरुआत में हुए संसदीय चुनावों में कांग्रेस उम्मीदवार एससी जमीर ने राज्य की एकमात्र लोकसभा सीट जीती। इस जीत को कई राजनीतिक विश्लेषकों ने नगालैंड में पार्टी की ऐतिहासिक वापसी करार दिया जहां कांग्रेस लंबे समय से राजनीतिक रूप से हाशिये पर थी।
जमीर की जीत ने राज्य में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए 20 साल वनवास को खत्म कर दिया। नगालैंड से आखिरी बार कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर असंगबा संगतम ने चुनाव जीता था जिन्होंने 1999 से 2004 तक इस सीट का प्रतिनिधित्व किया।
विधानसभा के पूर्व सदस्य एवं नगालैंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निवर्तमान अध्यक्ष जमीर ने 4,01,951 मत हासिल करके निर्णायक जीत हासिल की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के डॉ. चुंबेन मुरी को 50,984 मतों के अंतर से हराया।
नागालैंड के लोगों के लिए कांग्रेस की जीत अप्रत्याशित नहीं थी। कई मतदाता भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ भाजपा की कथित हिंसा के विरोध में खड़े होने की इच्छा से प्रेरित थे
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक एच चिशी ने कहा, ‘‘इस लोकसभा चुनाव में धार्मिक भावनाओं ने अहम भूमिका निभाई, जबकि कुछ चर्चों ने भी भाजपा के विरोध में प्रचार किया।’’
कांग्रेस की प्रदेश इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष ख्रीदी थेनुओ ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव में हमारे अध्यक्ष जमीर की जीत ने वास्तव में नगालैंड में पार्टी को मजबूत किया है।’’
संसद में पहुंचने पर जमीर ने अपने पहले भाषण में नगा राजनीतिक समस्या और ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (ईएनपीओ) मुद्दे के शीघ्र समाधान के महत्व पर जोर दिया और दीमापुर में एकमात्र हवाई अड्डे तथा रेलवे स्टेशन पर सुविधाओं में सुधार की मांग की।
हालांकि, सत्तारूढ़ एनडीपीपी ने लोकसभा की हार की भरपाई नगर निकाय चुनावों में भारी जीत हासिल करके की। उसने तीनों नगर निकाय- कोहिमा, मोकोकचुंग तथा दीमापुर और अधिकांश नगर पंचायत में जीत हासिल की।
कुल मिलाकर 11 राजनीतिक दलों के 523 उम्मीदवार मैदान में थे। एनडीपीपी ने सबसे ज्यादा 178 उम्मीदवार उतारे, उसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 44, कांग्रेस ने 37, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 22, नगा पीपल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने 21 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने 15 उम्मीदवार उतारे।
जनता दल (यूनाइटेड) ने नौ सीट पर, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) तथा लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने सात-सात सीट पर और राइजिंग पीपुल्स पार्टी ने एक सीट पर चुनाव लड़ा। इसके अलावा, 182 निर्दलीय उम्मीदवार भी थे।
कांग्रेस सिर्फ सात सीट जीत पाई। उसे ज्यादातर सीट के लिए उम्मीदवार ही नहीं मिले जिससे राज्य में पार्टी को मजबूत करने की कोशिशों को झटका लगा।
भाषा खारी नरेश
नरेश

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