नगालैंड आरक्षण नीति: पांच प्रमुख जनजातियों ने धरना-प्रदर्शन किया
नगालैंड आरक्षण नीति: पांच प्रमुख जनजातियों ने धरना-प्रदर्शन किया
कोहिमा, नौ जुलाई (भाषा) नगालैंड प्रशासनिक सचिवालय के बाहर हजारों लोगों ने बुधवार को पारंपरिक परिधान पहनकर विरोध प्रदर्शन किया और आरक्षण नीति की समीक्षा की मांग की।
ये आंदोलनकारी पांच प्रमुख जनजातियों – एओ, अंगामी, लोथा, रेंगमा और सुमी – से जुड़े थे और आरक्षण नीति की समीक्षा पर पांच जनजाति समिति (सीओआरआरपी) के परचम तले एक साथ आए थे।
इनकी मांग है की कि या तो वर्तमान नौकरी आरक्षण नीति को खत्म किया जाए, जो 1977 से प्रभावी है, या खाली आरक्षित पदों को पुनः आवंटित किया जाए।
प्रदर्शनकारियों ने बैनर और तख्तियां ली हुई थीं जिनमें से कुछ पर लिखा था, ‘‘ हम 48 वर्षों की अनिश्चितकालीन आरक्षण नीति का विरोध करते हैं’’, ‘‘न्यूनतम कट-ऑफ अंकों के बिना पिछड़ी जनजाति (बीटी) आरक्षण व्यवस्था का मजाक है’’, ‘‘ 48 वर्षों में बीटी आरक्षण अपने इच्छित उद्देश्य से बाहर हो गया है।’’
सीओआरआरपी ने तर्क दिया कि यह नीति पुरानी और दमनकारी है, तथा इसे निरस्त करने या अप्रयुक्त कोटा को पांच जनजातियों में पुनर्वितरित करने की मांग की।
नगालैंड सरकार ने मंगलवार को समिति से हड़ताल वापस लेने की अपील करते हुए कहा था कि मामला पहले से ही संस्थागत समीक्षा के अधीन है।
सरकार ने यह भी कहा था कि राज्य मंत्रिमंडल एक बैठक करेगा और मुख्यमंत्री, जो इस समय शहर से बाहर हैं, के वापस आने के बाद इस मामले पर निर्णय लेगा।
हालांकि, सरकार की अपील को खारिज करते हुए सीओआरआरपी ने एक दिवसीय आंदोलन करने का निर्णय लिया।
भाषा शोभना माधव
माधव

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