नागपुर की फुटाला झील ‘आर्द्रभूमि’ नहीं: शीर्ष अदालत
नागपुर की फुटाला झील 'आर्द्रभूमि' नहीं: शीर्ष अदालत
नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को मुम्बई उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें नागपुर की फुटाला झील को आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत ‘आर्द्रभूमि’ के रूप में वर्गीकृत करने से इनकार कर दिया गया था।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन एवं न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने नागपुर स्थित गैर-सरकारी संगठन स्वच्छ एसोसिएशन की ओर से दायर वह याचिका खारिज कर दी जिसमें उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गयी थी।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘वर्तमान कार्यवाही में प्रतिवादी संख्या चार द्वारा दायर उत्तर में दिए गए ऐतिहासिक तथ्य स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि यह झील मानव निर्मित जलाशय है, जिसका निर्माण पेयजल और सिंचाई के उद्देश्य से किया गया है…।’’
पीठ ने अधिकारियों को झील के आसपास अस्थायी निर्माण कार्य जैसे तैरते हुए रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल, संगीतमय फव्वारा और दर्शक दीर्घा बनाने की अनुमति देते हुए कहा, ‘‘इस न्यायालय के विचार में, फुटाला झील मानव निर्मित जलाशय है और यह वैधानिक परिभाषा के दायरे में नहीं आता और न ही 2017 के नियम 2(1)(जी) में परिभाषित ‘आर्द्रभूमि’ है। इस परिभाषा में मानव निर्मित जलाशय और सिंचाई के उद्देश्य से निर्मित जलाशय शामिल नहीं हैं।’’
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि प्रकृति और पारिस्थितिकी के अनुरूप या स्वस्थ पर्यावरण के निर्माण के लिए मानवीय गतिविधियों को कानूनी उपायों द्वारा निर्देशित और संरक्षित किया जाना चाहिए।
अदालत ने कहा, ‘‘इसमें न केवल नागरिकों की ज़िम्मेदारी है, बल्कि अधिकारियों को भी यह सुनिश्चित करने का समान रूप से आदेश दिया गया है कि इस क्षेत्र में सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत को लागू किया जाए और उसे आगे बढ़ाया जाए।’’
पीठ ने कहा, ‘‘इस प्रकार, सार्वजनिक न्यास सिद्धांत मानव निर्मित या कृत्रिम रूप से निर्मित प्राकृतिक वस्तुओं, जलाशयों, झीलों, आर्द्रभूमि आदि पर भी लागू होगा, जो प्रकृति या प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त और निर्मित होते हैं। अंततः, यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को दिए गए स्वस्थ पर्यावरण और पारिस्थितिक संतुलन के अधिकार का लाभ सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त करेगा। साथ ही, जनहित के लिए सतत विकास को बढ़ावा देना भी इससे अलग नहीं है।’’
याचिका में कहा गया है कि फुटाला झील एक आर्द्रभूमि है और वहाँ बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य से पारिस्थितिकी तंत्र और जलीय जीवन नष्ट हो सकता है।
भाषा रंजन अविनाश
अविनाश

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