साइबर अपराधों की चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय विधि अकादमी की आवश्यकता : प्रधान न्यायाधीश

साइबर अपराधों की चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय विधि अकादमी की आवश्यकता : प्रधान न्यायाधीश

साइबर अपराधों की चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय विधि अकादमी की आवश्यकता : प्रधान न्यायाधीश
Modified Date: December 26, 2025 / 04:55 pm IST
Published Date: December 26, 2025 4:55 pm IST

पणजी, 26 दिसंबर (भाषा) प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने कृत्रिम मेधा (एआई) और साइबर अपराधों से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए देशभर के वकीलों को प्रशिक्षित करने के वास्ते राष्ट्रीय स्तर की विधि अकादमी की आवश्यकता पर शुक्रवार को जोर दिया।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत दक्षिण गोवा में स्थित भारत अंतरराष्ट्रीय विधि शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय में ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया’ के राष्ट्रीय सम्मेलन और मध्यस्थता संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, “हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं जहां एआई कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने में एक शक्तिशाली उपकरण बन रही है, लेकिन प्रौद्योगिकी हमें विभिन्न प्रकार के अपराधों की ओर भी ले जा रही है।’’

 ⁠

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि साइबर अपराध की कुछ घटनाएं ऐसी हैं जिनके बारे में कभी नहीं सुना गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से साइबर अपराधी अपराध के नये तरीकों को खोज रहे हैं, आने वाले दिनों में (कानूनी व्यवस्था के सामने) चुनौतियां और भी बड़ी और गंभीर हो जायेंगी।’’

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि बार के सदस्य भविष्य में उभरने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं।

उन्होंने पूछा, ‘‘जब आप साइबर अपराध से निपट रहे होते हैं, तो आप साइबर अपराधियों द्वारा किए गए अपराध के शिकार व्यक्ति से निपट रहे होते हैं। क्या आप इस तरह की चुनौती का सामना करने के लिए पेशेवर रूप से सक्षम हैं?’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें लगता है कि राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी की तरह एक राष्ट्रीय स्तर की कानूनी अकादमी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘बार के सदस्यों के लिए आवधिक प्रशिक्षण का समय आ गया है। यह 48 घंटे का या एक-दो दिन का संक्षिप्त प्रशिक्षण नहीं हो सकता। इसके लिए आंतरिक प्रशिक्षण अकादमी में कुछ महीनों तक चलने वाले गहन प्रशिक्षण की आवश्यकता हो सकती है, जहां हमारे पास संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ मौजूद होंगे।’’

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि जब तक विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार और पढ़ाया नहीं जाता, तब तक बार के सदस्यों के लिए अपने वादियों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों से निपटना मुश्किल होगा।

उन्होंने कहा कि बार काउंसिल के लिए अपनी योजना बनाने, एक पेशेवर पाठ्यक्रम तय करने या एक समर्पित संस्थान स्थापित करने का समय आ गया है।

भाषा

देवेंद्र नरेश

नरेश


लेखक के बारे में