सिविल सेवा की नौकरियों के मोह से बाहर निकलने की जरूरत: धनखड़

सिविल सेवा की नौकरियों के मोह से बाहर निकलने की जरूरत: धनखड़

सिविल सेवा की नौकरियों के मोह से बाहर निकलने की जरूरत: धनखड़
Modified Date: August 16, 2024 / 12:18 pm IST
Published Date: August 16, 2024 12:18 pm IST

नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) समाचार पत्रों में ‘कोचिंग सेंटर के विज्ञापनों की भरमार’ की ओर इशारा करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को सिविल सेवाओं के प्रति छात्रों के ‘मोह’ पर चिंता व्यक्त की और उनसे अन्य क्षेत्रों में उपलब्ध ‘आकर्षक’ अवसरों की तलाश करने का आग्रह किया।

धनखड़ दिल्ली के नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में बौद्धिक संपदा (आईपी) कानून और प्रबंधन में संयुक्त स्नातकोत्तर व एलएलएम डिग्री के पहले बैच के ‘इंडक्शन’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘… अब, मुझे समाचार पत्रों में कुल मिलाकर कोचिंग सेंटर के विज्ञापनों की भरमार मिलती है … पेज एक, पेज दो, पेज तीन… उन लड़कों और लड़कियों के चेहरों से भरे हुए रहते हैं जिन्होंने सफलता हासिल की होती है। एक ही चेहरे का उपयोग कई संस्थानों द्वारा किया जा रहा है।’’

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धनखड़ ने कहा, ‘‘इन विज्ञापनों की भरमार को देखें… लागत और एक-एक पैसा उन युवा लड़कों और लड़कियों के पास से आया है जो अपने लिए भविष्य सुरक्षित करने की कोशिश में हैं।’’

उपराष्ट्रपति ने युवाओं से कहा कि वे अन्य क्षेत्रों में भी अवसरों की तलाश करें।

उन्होंने कहा, ‘‘समय आ गया है, आइए, हम सिविल सेवा की नौकरियों के मोह से बाहर आएं। हम जानते हैं कि अवसर सीमित हैं, हमें दूसरी आरे भी देखना होगा और यह खोजना होगा कि अवसरों के विशाल परिदृश्य कहीं अधिक आकर्षक हैं जो आपको बड़े पैमाने पर (राष्ट्र के लिए) योगदान करने में सक्षम बनाते हैं।

उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे स्वार्थ को देश के हित से ऊपर रखने वाली ताकतों को किनारे लगाएं और उन्हें निष्प्रभावी करें।

भाषा ब्रजेन्द्र

ब्रजेन्द्र मनीषा

मनीषा


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