दिवंगत कैप्टन दीपक सिंह को पड़ोसी उर्जा से भरपूर व्यक्ति की तरह याद करते हैं पड़ोसी

दिवंगत कैप्टन दीपक सिंह को पड़ोसी उर्जा से भरपूर व्यक्ति की तरह याद करते हैं पड़ोसी

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  • Publish Date - August 17, 2024 / 01:13 AM IST,
    Updated On - August 17, 2024 / 01:13 AM IST

देहरादून, 16 अगस्त (भाषा) देहरादून के विंडलास रिवर वैली अपार्टमेंट में रहने वाले लोग हाल में जम्मू-कश्मीर के डोडा में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान मारे गए कैप्टन दीपक सिंह को उर्जा से लवरेज एक जिंदादिल मिलनसार आदमी के रूप में याद करते हैं ।

इस अपार्टमेंट के निवासियों के लिए बृहस्पतिवार को 78 वां स्वतंत्रता दिवस उतने उत्साह और खुशियों से भरा नहीं रहा क्योंकि अपराहन बाद यहां शहीद का शव लाया गया ।

दिवंगत कैप्टन के माता-पिता पिछले कुछ सालों से यहां रहते हैं। बृहस्पतिवार को तिरंगे में लिपटी कैप्टन की पार्थिव देह यहां पहुंची, तो पूरे अपार्टमेंट में मातम छा गया ।

तीन बहन-भाइयों में सबसे छोटे 25 वर्षीय दीपक की दोनों बड़ी बहनें विवाहित हैं। वे रक्षाबंधन पर अपने भाई का इंतजार कर रही थीं लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था ।

पड़ोस में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि कैप्टन दीपक आखिरी बार कुछ माह पहले अपने दूसरी बहन की शादी के मौके पर घर आए थे और कहा था कि अब दोनों बहनों की शादी हो चुकी है तो अब वह किसके लिए घर आएंगे।

महिला ने कहा, ‘‘यह विश्वास करना मुश्किल है कि दीपक जैसा उर्जा से भरा व्यक्ति चला गया है ।’’

विंडलास रिवर वैली रेजीडेंटस वेलफेयर एसोसियेशन के सचिव प्रदीप शुक्ला ने कहा कि दीपक बहुत मिलनसार और जिंदादिल था तथा जब भी वह छुटटी पर घर आता था तो अपार्टमेंट में कोर्ट पर टेनिस खेलना का मौका कभी नहीं चूकता था ।

दीपक के पिता महेश सिंह अपनी एक पुत्री के साथ केरल में थे जब 14 अगस्त को उनकी दुनिया को हिलाकर रख देने वाली दुखद खबर उन्हें मिली ।

इस साल अप्रैल में पुलिस से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले सिंह ने अपने आंसुओं को रोकते हुए कहा, ‘‘ फोन करने वाले व्यक्ति ने जैसे ही अपना परिचय ब्रिगेडियर के रूप में दिया, मुझे समझ में आ गया कि कुछ अप्रिय हुआ है ।’’

यद्यपि सिंह को अपने पुत्र की शहादत पर गर्व है और उन्होंने फैसला किया है कि वह उसके लिए नहीं रोएंगे, लेकिन सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी को अपने इकलौते पुत्र की याद बहुत तकलीफ दे रही है ।

कैप्टन दीपक का बृहस्पतिवार शाम ही हरिद्वार में गंगा तट पर अंतिम संस्कार किया गया ।

भाषा दीप्ति

राजकुमार

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