एनजीटी ने अभयारण्य संबंधी याचिका पर मुख्य वन्यजीव वार्डन से गौर करने को कहा
एनजीटी ने अभयारण्य संबंधी याचिका पर मुख्य वन्यजीव वार्डन से गौर करने को कहा
नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के मुख्य वन्यजीव वार्डन को एक याचिका पर गौर करने को कहा है जिसमें आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 119 को चौड़ा करने से राज्य के पांच जिलों में स्थित हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य का पारिस्थितिक संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) प्रभावित होगा।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ ने मुख्य वन्य जीव वार्डन से कहा है कि अगर कानून का किसी प्रकार का उल्लंघन हुआ है तो कानून के मुताबिक समाधान के कदम उठाए जाएं।
हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुड़, बिजनौर और अमरोहा में फैला है।
अधिकरण की पीठ ईएसजेड से गुजरने वाली सड़क के चौड़ीकरण के खिलाफ डॉ. अशोक शास्त्री की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता ने कहा है कि यह कार्य पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा जारी 2018 की अधिसूचना के खिलाफ है।
अधिकरण ने कहा कि जिस अधिसूचना को लागू करने की मांग की गई है वह केवल एक प्रस्ताव है।
पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता ने कहा है कि अंतिम अधिसूचना जारी हो जानी चाहिए थी लेकिन यह उपलब्ध नहीं है। इसलिए दो फरवरी 2018 की अधिसूचना के आलोक में ईएसजेड में सड़क का चौड़ीकरण कार्य करना अवैध होगा।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अंतिम अधिसूचना जारी नहीं हुई है और जो भी दलीलें दी गयी हैं वह प्रस्तावित अधिसूचना के आधार पर है।’’
एनजीटी ने कहा कि अंतिम अधिसूचना के नहीं रहने की स्थिति में दखल देने का मामला नहीं बनता लेकिन एहतियात के तौर पर ‘‘हम उत्तर प्रदेश के लखनऊ में मुख्य वन्यजीव वार्डन से मामले पर गौर करने और किसी भी तरह के उल्लंघन पर कानून के मुताबिक कदम उठाने का निर्देश देते हैं।’’
पीठ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल भी थे।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उक्त अधिसूचना के हिसाब से अभयारण्य की चारदीवारी से 15 किलोमटीर का क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र होगा।
भाषा आशीष नरेश
नरेश

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