नीलांबुर उपचुनाव: 70 के दशक में माकपा के जनसंघ से कथित गठबंधन पर छिड़ी बहस
नीलांबुर उपचुनाव: 70 के दशक में माकपा के जनसंघ से कथित गठबंधन पर छिड़ी बहस
मलप्पुरम (केरल), 18 जून (भाषा) नीलांबुर उपचुनाव के लिए बृहस्पतिवार को मतदान होगा और इस बीच इस निर्वाचन क्षेत्र में 1970 के दशक में माकपा और जनसंघ (भाजपा का पूर्व संगठन) के बीच कथित समझौते को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है।
कांग्रेस-यूडीएफ उम्मीदवार आर्यदान शौकत ने कहा कि इस तरह के और गठबंधन बनने की काफी संभावनाएं हैं, जबकि माकपा-एलडीएफ उम्मीदवार एम स्वराज ने कहा कि उस समय वामपंथियों ने जनसंघ के साथ नहीं, बल्कि जनता पार्टी के साथ सहयोग किया था।
उन्होंने कहा कि उस दौरान अलग-अलग विचारधारा वाले लोग जनता पार्टी का हिस्सा बन गए थे।
यहां पत्रकारों से बात करते हुए शौकत ने दावा किया कि कम्युनिस्ट पार्टी ने अतीत में खुले तौर पर स्वीकार किया था कि उसने 1967 में ही कम से कम तीन या चार राज्यों में आरएसएस से जुड़े जनसंघ के साथ गठबंधन किया था, जिसका उद्देश्य तत्कालीन कांग्रेस सरकार को सत्ता से हटाना था।
उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके राजनीतिक दस्तावेज में इसका स्पष्ट उल्लेख है।
शौकत ने दावा किया, ‘‘भविष्य में ऐसे गठबंधन बनने की संभावना 100 प्रतिशत है।’’
हालांकि, स्वराज ने कहा कि दशकों पहले वामपंथियों ने भाजपा या जनसंघ के साथ नहीं, बल्कि जनता पार्टी के साथ हाथ मिलाया था। माकपा के राज्य सचिवालय सदस्य ने यह भी कहा कि जब आरोप सामने आए कि जनता पार्टी पर आरएसएस का नियंत्रण है तो मार्क्सवादी दिग्गज और राज्य के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री ई.एम.एस. नंबूदरीपाद ने बाद में घोषणा की थी कि वे आरएसएस के वोट नहीं चाहते हैं।
स्वराज ने यह भी आरोप लगाया कि बाद में कांग्रेस ने ही आरएसएस-नियंत्रित जनता पार्टी के साथ सहयोग किया था।
उन्होंने कहा कि मार्क्सवादी पार्टी का हमेशा से धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखने और सांप्रदायिकता का विरोध करने का इतिहास रहा है।
पिनराई विजयन सरकार के लगातार दूसरे कार्यकाल को पूरा करने में बस कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में नीलांबुर में उपचुनाव सत्तारूढ़ माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ दोनों के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है।
उपचुनाव 19 जून को होगा और मतगणना 23 जून को होगी।
भाषा वैभव नरेश
नरेश

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