सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय खत्म कर सकता है देश से जलसंकट, नितिन गडकरी ने बताया पूरा प्लान
नितिन गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय देश के कुछ हिस्सों में जल संकट की समस्या का समाधान कर सकता है।
Nitin Gadkari In Bangalore: बेंगलुरु में हो रहे ‘भारतमाला’ श्रृंखला के तहत ‘मंथन’ कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय देश के कुछ हिस्सों में जल संकट की समस्या का समाधान कर सकता है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘‘आप सब जानते हैं कि केंद्र सरकार ‘अमृत सरोवर’ योजना लेकर आई है। सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय पानी की समस्या को दूर करने में बहुत अच्छा काम कर सकता है.’’ बता दें कि राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर 24 अप्रैल, 2022 को ‘मिशन अमृत सरोवर’ की शुरुआत ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ आयोजन के हिस्से के तौर पर की गई थी, जिसका उद्देश्य भविष्य के लिए पानी का संरक्षण करना है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय का मिशन
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए मिशन का उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में 75 जल निकायों का विकास और कायाकल्प करना है। केंद्र और राज्यों के मंत्री और अधिकारी दो दिवसीय कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं, जिसका विषय ‘‘आइडिया टू एक्शन-टूवार्ड्स ए स्मार्ट, सस्टेनेबल रोड इन्फ्रा, मोबिलिटी एंड लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम’’है।
झीलों के निर्माण के लिए हाईवे का उपयोग कर सकते हैं
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि वह विदर्भ क्षेत्र से आते हैं, जहां पिछले कुछ सालों में हजारों किसानों ने आत्महत्या की। उन्होंने कहा, “कृषि संकट का एक कारण जल संकट रहा है। कई जगहों पर जल संकट है। पानी की कोई कमी नहीं है, लेकिन जल प्रबंधन एक मसला है। हम झीलों के निर्माण के लिए राजमार्गों (हाईवे) का उपयोग कर सकते हैं.’’
नितिन गडकरी ने कहा कि राजमार्गों के निर्माण के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती है, जिसे इस तरह से प्राप्त किया जा सकता है कि नए जल निकाय बन सकें। आगे उन्होंने बताया कि इससे न केवल सड़क निर्माण की आवश्यकता पूरी होगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में नई झीलें भी उपलब्ध होंगी, जिससे अंततः भूजल स्तर में वृद्धि होगी. इस तरह के अभिनव उपायों से परियोजना लागत कम होगी और कई अन्य लोगों को मदद मिलेगी।
नितिन गडकरी ने एक उदाहरण का उल्लेख किया जहां भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा निष्पादित एक परियोजना के कारण एक विश्वविद्यालय को 36 झीलें मिलीं, जबकि आसपास के गांवों में 22 कुएं मिले।

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