Niyamitikaran Latest News: संविदा कर्मचारियों का होगा नियमितीकरण? अब देश की संसद में उठी परमानेंट करने मांग, इस सांसद ने पूछे सवाल

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Niyamitikaran Latest News: संविदा कर्मचारियों का होगा नियमितीकरण? अब देश की संसद में उठी परमानेंट करने मांग, इस सांसद ने पूछे सवाल
Modified Date: December 1, 2025 / 07:01 pm IST
Published Date: December 1, 2025 7:01 pm IST

नई दिल्लीः Niyamitikaran Latest News ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ बनाने में आशा कार्यकर्ताओं और मितानिनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, टीकाकरण, परिवार नियोजन, संस्थागत प्रसव जैसे जरूरी काम इनके बिना संभव नहीं होता है, लेकिन ये स्वास्थ्य विभाग के नियमित कर्मचारी नहीं होते हैं। लिहाजा इन्हें कई सुविधाओं को लाभ नहीं मिल पाता है। सरकार इन्हें सैलरी नहीं, बल्कि इनके काम बदले में प्रोत्साहन और मानदेय के आधार पर पैसे का भुगतान किया जाता है। इन्हें नियमित करने की मांग लगातार उठ रही है। इसी बीच अब इनके नियमित की मांग देश की संसद तक पहुंच गई है।

कांग्रेस नेत्री और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने लोकसभा में इस संबंध में सवाल पूछा। सचिवालय की ओर से उन्हें जवाब भी मिला है। प्रियंका ने इसकी कॉपी एक्स पर शेयर करते हुए लिखा कि दिन-रात मेहनत करने वाली हमारी आशा बहनें लंबे समय से अपने अधिकार के लिए लड़ रही हैं। उन्हें न्यूनतम वेतन और बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिलतीं। वे अपने लिए सम्मानजनक मानदेय, सामाजिक सुरक्षा और गरिमापूर्ण पहचान चाहती हैं।

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‘स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ हैं आशा बहनें’

Niyamitikaran Latest News आशा बहनें हमारे स्वास्थ्य तंत्र की रीढ़ हैं और वे अपनी पूरी क्षमता से लोगों की सेवा करती हैं, लेकिन मोदी जी की सरकार उन्हें स्थायी कर्मचारी नहीं मानती। संसद में जब मैंने इस बारे में सवाल ​पूछा कि सरकार इनके लिए क्या करने जा रही है तो सरकार ने गोलमोल जवाब ​देकर मामला निपटा दिया। दिन-रात काम के बदले उन्हें न्यूनतम वेतन भी न देना उनके श्रम और उनकी काबिलियत का अपमान है। आशा बहनों को स्थायी कर्मचारी का दर्जा, न्यूनतम वेतन, PF, मेडिकल सुरक्षा और मैटननिटी लीव जैसी सुविधाएं मिलनी चाहिए। वे इस सम्मान की हकदार हैं

 

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लेखक के बारे में

सवाल आपका है.. पत्रकारिता के माध्यम से जनसरोकारों और आप से जुड़े मुद्दों को सीधे सरकार के संज्ञान में लाना मेरा ध्येय है। विभिन्न मीडिया संस्थानों में 10 साल का अनुभव मुझे इस काम के लिए और प्रेरित करता है। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रानिक मीडिया और भाषा विज्ञान में ली हुई स्नातकोत्तर की दोनों डिग्रियां अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ने के लिए गति देती है।