वकील ने अदालत से कहा: उमर खालिद पर कोई आपराधिक आरोप नहीं लगाया जा सकता
वकील ने अदालत से कहा: उमर खालिद पर कोई आपराधिक आरोप नहीं लगाया जा सकता
नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर (भाषा) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद के वकील ने मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल पर कोई आपराधिक आरोप नहीं लगाया जा सकता।
यह दलील दिल्ली में फरवरी 2020 के दंगों की कथित साजिश से संबंधित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में खालिद के खिलाफ आरोप तय करने का विरोध करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी के समक्ष दी गई।
खालिद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने दलील दी, ‘…किसी भी स्थिति में, तब तक किसी अपराध का आरोप नहीं लगाया जा सकता, जब तक आप यह नहीं दिखाते कि इन कार्यों में वास्तविक अपराध है।”
खालिद पर ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ का सदस्य होने के आरोप का जिक्र करते हुए पेस ने कहा कि खालिद सिर्फ समूह का सदस्य था और उसने कभी कोई संदेश नहीं भेजा।
उन्होंने पूछा, ‘इस समूह से जुड़ने में अपराध क्या है?’
पेस ने बताया कि संरक्षित गवाहों में से एक, ‘बॉन्ड’ ने एक ‘व्हाट्सऐप ग्रुप’ पर चक्का जाम का आह्वान करते हुए एक संदेश भेजने की बात स्वीकार की है।
वकील ने कहा, ‘हम तय करें कि गवाह चक्का जाम के ख़िलाफ़ है या इसके पक्ष में। ‘बॉन्ड’ स्पष्ट रूप से एक दिलचस्प गवाह है और उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। इस गवाह का बयान भी मेरे (मुवक्किल की) गिरफ़्तारी से एक महीने पहले दर्ज किया गया था।’
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने अपने आरोपपत्र में खालिद और अन्य पर 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दिल्ली यात्रा के दौरान भारत को बदनाम करने के लिए विरोध प्रदर्शन करने और दंगों में भाग लेने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया कि ट्रंप की भारत की आधिकारिक यात्रा की पहली बार 13 फरवरी, 2020 को सूचना दी गई थी, लेकिन प्राथमिकी इस तथ्य पर आधारित थी कि आठ फरवरी को, षड्यंत्रकारियों को पहले से ही उनके आगमन की तारीख की जानकारी थी और उन्होंने 24-25 फरवरी को हिंसा को अंजाम दिया।
अपने मुवक्किल के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) का हवाला देते हुए, पेस ने कहा कि पुलिस ने खालिद को मामले में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामजद किया है, लेकिन वह आठ दिसंबर, 2019 को जंगपुरा में एक बैठक में मौजूद नहीं था, जहां 2020 के दिल्ली दंगों के संबंध में कथित साजिश रची गई थी।
उन्होंने एक अन्य संरक्षित गवाह ‘डेल्टा’ के बयान का भी हवाला दिया, जिसने पुलिस को बताया था कि पूरी साजिश के संबंध में एक गुप्त कार्यालय में बैठक हुई थी।
पेस ने पूछा, ‘आरोप पत्र में कहा गया है कि एक गुप्त कार्यालय में एक गुप्त बैठक आयोजित की गई थी। यह मुखबिर पुलिस के लगातार संपर्क में था, लेकिन उसने पुलिस को हिंसा के बारे में क्यों नहीं बताया? अगर उसने सूचना दी थी, तो पुलिस ने इसे रोका क्यों नहीं।’
इस आरोप के बारे में कि हिंसा के बाद खालिद दिल्ली छोड़ने वाला था, पेस ने कहा कि जो व्यक्ति ‘सीएए’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सक्रिय रूप से भाग ले रहा था, उसके लिए यात्रा करना सामान्य बात है।
इस मामले में बहस बुधवार को भी जारी रहेगी।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को षड्यंत्र मामले में कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस को दो सप्ताह का समय देने से इनकार कर दिया था।
भाषा नोमान अविनाश
अविनाश

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