बंधुआ मजदूरों के रूप में तस्करी किये गए लोगों से जुड़ी याचिका पर मतभेद नहीं: न्यायालय

बंधुआ मजदूरों के रूप में तस्करी किये गए लोगों से जुड़ी याचिका पर मतभेद नहीं: न्यायालय

बंधुआ मजदूरों के रूप में तस्करी किये गए लोगों से जुड़ी याचिका पर मतभेद नहीं: न्यायालय
Modified Date: January 24, 2025 / 05:49 pm IST
Published Date: January 24, 2025 5:49 pm IST

नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि बंधुआ मजदूर के रूप में तस्करी किये गए लोगों के मूल अधिकारों को लागू करने की याचिका पर कोई मतभेद नहीं है।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने यह टिप्पणी की।

इससे पहले, अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि शीर्ष अदालत के 21 नवंबर 2024 के निर्देश के अनुपालन में एक समिति गठित की गई और इस मुद्दे पर सिफारिशें की गईं।

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शीर्ष अदालत ने नवंबर 2024 के अपने आदेश में, केंद्र से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक बैठक बुलाने को कहा था ताकि बंधुआ मजदूरों की अंतर-राज्यीय तस्करी के मुद्दे का समाधान किया जा सके।

शुक्रवार को वेंकटरमणी ने कहा कि केंद्र ने एक हलफनामा दाखिल किया है और कहा है कि इस मुद्दे पर एक समिति गठित की गई है और कुछ सिफारिशें की गई हैं।

पीठ ने कहा कि यह किसी मतभेद वाला मुकदमा नहीं है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि वे इस मामले में अपने सुझाव देंगे, जिसके बाद पीठ ने सुनवाई दो सप्ताह बाद के लिए निर्धारित कर दी।

नवंबर 2024 के अपने आदेश में, पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील की इन दलीलों पर गौर किया कि मुक्त कराये गए बच्चों सहित बंधुआ मजदूरों को तत्काल वित्तीय सहायता देने के संबंध में विभिन्न कठिनाइयां पेश आईं।

पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के आंकड़े चिंताजनक हैं क्योंकि मुक्त कराये गए 5,264 बंधुआ मजदूरों में से केवल 1,101 को तत्काल वित्तीय सहायता मिली, जबकि 4,167 को नहीं मिली।

न्यायालय ने कहा था कि बच्चों सहित बंधुआ मजदूरों की अंतर-राज्यीय तस्करी के मुद्दे का समाधान केंद्र और सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को करना चाहिए तथा एक एकीकृत रुख अपनाया जा सकता है।

पीठ ने अटॉर्नी जनरल से इस मामले में सहायता करने का अनुरोध किया था।

भाषा सुभाष माधव

माधव


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