‘मुबारात’ के जरिए मुस्लिम शादी खत्म करने के लिए लिखित समझौते की जरूरत नहीं: गुजरात उच्च न्यायालय

‘मुबारात’ के जरिए मुस्लिम शादी खत्म करने के लिए लिखित समझौते की जरूरत नहीं: गुजरात उच्च न्यायालय

‘मुबारात’ के जरिए मुस्लिम शादी खत्म करने के लिए लिखित समझौते की जरूरत नहीं: गुजरात उच्च न्यायालय
Modified Date: August 12, 2025 / 10:09 pm IST
Published Date: August 12, 2025 10:09 pm IST

अहदाबाद, 12 अगस्त (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि मुस्लिम विवाह को ‘मुबारात’ के जरिये मौखिक आधार पर और बिना लिखित समझौते के समाप्त किया जा सकता है।

‘मुबारात’ इस्लाम में तलाक का एक ऐसा तरीका है जिसमें पति-पत्नी आपसी सहमति से शादी खत्म कर सकते हैं।

न्यायमूर्ति एवाई कोगजे और न्यायमूर्ति एनएस संजय गौड़ा की खंडपीठ ने हाल में राजकोट की एक पारिवारिक अदालत के उस आदेश को निरस्त करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें एक मुस्लिम दंपति द्वारा ‘मुबारात’ के माध्यम से विवाह विच्छेद की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था।

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खंडपीठ ने मामला पुनः पारिवारिक अदालत को भेजते हुए निर्देश दिया कि वह तीन महीने की अवधि में इस पर कार्यवाही पूरी करे।

उच्च न्यायालय ने पारिवारिक अदालत के इस रुख से असहमति जताई कि विवाह विच्छेद के लिए लिखित समझौता आवश्यक है।

उच्च न्यायालय ने कुरान, हदीस और मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला देते हुए कहा कि यदि मुस्लिम दंपति आपसी सहमति से विवाह समाप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए लिखित समझौता आवश्यक नहीं है।

राजकोट निवासी एक मुस्लिम दंपति ने वैवाहिक मतभेद के चलते पारिवारिक अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने विवाह को ‘मुबारात’ के ज़रिये समाप्त किए जाने की घोषणा की मांग की थी। दंपति के अनुसार, ‘मुबारात’ को मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लिकेशन अधिनियम, 1937 के तहत तलाक के एक मान्य रूप के रूप में मान्यता प्राप्त है।

उच्च न्यायालय ने कहा, “यह तर्क दिया गया कि पारिवारिक अदालत ने यह गलत माना कि अलग होने का समझौता केवल लिखित रूप में ही होना चाहिए, जबकि शरीयत मौखिक समझौते को भी मान्यता देता है।”

धार्मिक ग्रंथों और मुस्लिम पर्सनल लॉ का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, “ऐसा कोई संकेत नहीं है जिससे यह पता चले कि ‘मुबारात’ के लिए लिखित समझौता आवश्यक है, और न ही ऐसा कोई प्रचलन है कि आपसी सहमति से समाप्त किए गए निकाह को दर्ज करने के लिए कोई रजिस्टर बनाकर रखा जाता हो। ‘मुबारात’ के लिए आपसी सहमति की अभिव्यक्ति ही विवाह समाप्त करने के लिए पर्याप्त है।”

भाषा नोमान संतोष

संतोष


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