कालकाजी मंदिर पर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर यथास्थिति का आदेश नहीं : न्यायालय |

कालकाजी मंदिर पर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर यथास्थिति का आदेश नहीं : न्यायालय

कालकाजी मंदिर पर दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर यथास्थिति का आदेश नहीं : न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:25 PM IST, Published Date : April 27, 2022/10:31 pm IST

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर यथास्थिति का आदेश देने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने यहां दक्षिण दिल्ली में कालकाजी मंदिर के प्रशासन और रखरखाव से संबंधित कई निर्देश पारित किए हैं।

शीर्ष अदालत ने, हालांकि, याचिका पर नोटिस जारी किया और केंद्र और अन्य पक्षों से जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जेआर मिधा की मंदिर के प्रशासक के रूप में नियुक्ति के निर्देश पर रोक लगाने से भी इनकार कर दिया, जो मंदिर के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन और सुरक्षा के मुद्दे देखेंगे।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को यहां दक्षिणी दिल्ली में कालकाजी मंदिर में उन अवैध कब्जाधारियों और दुकानदारों को हटाने का निर्देश दिया है जिनके पास दुकानों पर कब्जा करने का कोई वैध कानूनी अधिकार नहीं है।

उन्होंने याचिका पर फैसला होने तक यथास्थिति के लिए निर्देश मांगा। पीठ ने कहा, “हम यथास्थिति का आदेश नहीं देंगे। हमने नोटिस जारी किया है और हमें मामले को बड़े नजरिए से देखना होगा।”

धवन ने कहा कि कालकाजी मंदिर से संबंधित मुद्दा इस अदालत के समक्ष दो मामलों में आया था, जिसमें से एक नौ अक्टूबर, 2013 के उच्च न्यायालय के आदेश से संबंधित था, जिसमें अनधिकृत निर्माणों को ध्वस्त करने के लिए नगरपालिका अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया था, लेकिन इस अदालत द्वारा उस पर रोक लगा दी गई थी।

उन्होंने कहा कि एक अन्य अपील 27 सितंबर, 2021 के उस आदेश के खिलाफ है, जिसके द्वारा उच्च न्यायालय ने कालकाजी मंदिर के प्रशासन और रखरखाव के संबंध में कई निर्देश जारी किए थे। धवन ने कहा कि आदेश के खिलाफ प्रथम अपील (एफएओ) याचिका में उच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र को पार कर लिया है।

पीठ ने कहा कि वह नोटिस जारी कर रही है और छुट्टी के बाद मामले की सुनवाई करेगी।

भाषा

प्रशांत उमा

उमा

 

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