नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने बुधवार को वायु गुणवत्ता के आंकड़ों में हेरफेर के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि निगरानी केंद्र स्वचालित हैं तथा गणना एवं निगरानी में कोई मानवीय हस्तक्षेप संभव नहीं है।
दिल्ली सरकार पर वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों के आसपास पानी का छिड़काव करने तथा प्रदूषण के उच्च स्तर पर होने के दौरान उन्हें बंद करने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि अक्टूबर में दिवाली के दौरान पटाखों के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों को बंद कर दिया गया था।
सीपीसीबी के अध्यक्ष वीर विक्रम यादव ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘निगरानी और डेटा संग्रह स्वचालित है… स्टेशन हर 15 मिनट में डेटा तैयार करते हैं और हर घंटे एक्यूआई की गणना की जाती है, जिसके बाद औसत एक्यूआई तैयार किया जाता है। ये स्टेशन स्वचालित हैं, और इसलिए किसी भी तरह का मानवीय हस्तक्षेप या हेरफेर संभव नहीं है।’’
वायु गुणवत्ता के आंकड़ों में हेरफेर करने के लिए निगरानी स्टेशनों के आसपास पानी छिड़कने के आरोपों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में, यादव ने कहा, ‘‘इन निगरानी स्टेशनों की स्थापना उनके स्थानों का वैज्ञानिक अध्ययन करने के बाद की गई है।’’
आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया था कि लोगों के मोबाइल फोन पर ज्यादातर ऐप सरकारी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों से आंकड़े ले रहे हैं, जबकि इन केंद्रों के आंकड़ों में हेराफेरी की जा रही है।
पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने दावा किया था कि एमसीडी के ट्रक कुछ प्रदूषण निगरानी केंद्रों के आसपास ‘‘दिन-रात’’ पानी का छिड़काव कर रहे हैं।
भाषा शफीक रंजन
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