Karnataka High Court On Unqualified Doctors: अब झोलाछाप डॉक्टर्स के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई, हाईकोर्ट ने दिए सख्त आदेश

Karnataka High Court On Unqualified Doctors: अब झोलाछाप डॉक्टर्स के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई, हाईकोर्ट ने दिए सख्त आदेश |

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  • Publish Date - April 16, 2025 / 06:48 PM IST,
    Updated On - April 16, 2025 / 06:48 PM IST

Karnataka High Court On Unqualified Doctors | Source : File Photo

HIGHLIGHTS
  • कर्नाटक उच्च न्यायालय ने झोलाछाप डॉक्टर द्वारा संचालित अस्पतालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।
  • मरीजों को धोखा देकर निर्दोष ग्रामीणों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं-उच्च न्यायालय
  • अदालत को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया।

बेंगलुरु। Karnataka High Court On Unqualified Doctors: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक सख्त निर्देश जारी किया है, जिसमें खुद को चिकित्सक के रूप में पेश करने वाले ‘अयोग्य व्यक्तियों’ (झोलाछाप डॉक्टर) द्वारा संचालित अस्पतालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने ऐसे अस्पतालों के, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, ‘अनियंत्रित प्रसार’ की आलोचना की और कहा कि ये सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।

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अदालत ने कहा, ‘‘ये झोलाछाप डॉक्टर खुद को चिकित्सक बताकर दूरदराज के क्षेत्रों में क्लीनिक चला रहे हैं और मरीजों को धोखा देकर निर्दोष ग्रामीणों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं।’’ न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने इस तरह की अवैध प्रथाओं के बढ़ने पर अंकुश लगाने में राज्य की स्पष्ट निष्क्रियता पर भी अविश्वास व्यक्त किया और इसे ‘जानबूझकर अनजान’ बने रहने का मामला बताया। अदालत ने रजिस्ट्री को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को अपना आदेश भेजने का निर्देश दिया, जिसमें विभाग को ‘अयोग्य व्यक्तियों’ द्वारा संचालित अस्पतालों की पहचान करने और उन्हें बंद करने का निर्देश दिया गया है।

इसने अदालत को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया। यह निर्देश ए. ए. मुरलीधरस्वामी द्वारा दायर याचिका के जवाब में आया, जिन्होंने कर्नाटक निजी चिकित्सा प्रतिष्ठान अधिनियम, 2007 के तहत अपने अस्पताल के पंजीकरण की मांग की थी। हालांकि, मुरलीधरस्वामी के पास केवल एसएसएलसी (कक्षा 10 के समकक्ष) की योग्यता है और वे सुनवाई के दौरान कोई वैध चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने में विफल रहे।

हालांकि उन्होंने ‘वैकल्पिक चिकित्सा करने के लिए खुद के योग्य’ होने का दावा किया और भारतीय वैकल्पिक चिकित्सा बोर्ड से एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया, लेकिन अदालत ने प्रमाणपत्र को संतोषप्रद नहीं पाया, क्योंकि उसमें चिकित्सा क्षेत्र में विशेषज्ञता को दर्शाने वाले सबूत का अभाव था।

उनके पास आवश्यक दवाओं के साथ सामुदायिक चिकित्सा सेवा में डिप्लोमा भी था, जिसके आधार पर वे कई वर्षों से मांड्या जिले में ‘श्री लक्ष्मी क्लिनिक’ नाम से एक अस्पताल चला रहे थे। विवरण की समीक्षा करने पर पीठ ने पाया कि मुरलीधरस्वामी अस्पताल के एकमात्र संचालक, प्रशासक और कर्मचारी थे।

जब उनसे पूछताछ की गई तो उनके वकील ने स्वीकार किया कि उनके पास किसी भी मान्यता प्राप्त चिकित्सा पद्धति में कोई औपचारिक शिक्षा नहीं है, चाहे वह एलोपैथी हो, आयुर्वेद हो या यूनानी। याचिकाकर्ता के चिकित्सक होने के दावे को ‘साफ तौर पर गलत बयानी’ करार देते हुए अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि उन्हें राज्य के चिकित्सा नियमों के तहत पंजीकरण का हकदार नहीं बनाती। इसके बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।