मंदिरों की संपत्तियों को लूटने की अनुमति देने वाले अधिकारियों के दायित्व तय किये जाये: अदालत
मंदिरों की संपत्तियों को लूटने की अनुमति देने वाले अधिकारियों के दायित्व तय किये जाये: अदालत
चेन्नई, सात फरवरी (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को उन अधिकारियों के दायित्व तय करने के लिए एक नीति विकसित करने का निर्देश दिया है जिन्होंने राज्यभर में मंदिरों की संपत्तियों को लूटने की अनुमति दी थी।
अदालत ने कहा कि बड़े पैमाने पर इस तरह के अवैध कृत्य होने देने की स्थिति में, विभाग ‘एचआर एंड सीई’ अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपने उद्देश्य में विफल रहा है और इसलिए नीतिगत निर्णय में बदलाव की आवश्यकता हो सकती है।
न्यायमूर्ति एस. एम. सुब्रमण्यम ने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, अधिकारियों पर व्यक्तिगत दायित्व तय करना सबसे महत्वपूर्ण है। मंदिर के हित में काम नहीं करने वाले अधिकारियों की पहचान की जानी है और उनके कार्य प्रदर्शन की निगरानी की जानी है और विभाग प्रमुख सभी उचित पहल करने के लिए बाध्य हैं। यदि मुखिया (एचओडी) खुद ही कुशलता से काम नहीं कर रहा है, तो सरकार को उचित कार्रवाई शुरू करनी होगी। इस प्रकार, किसी भी चूक या लापरवाही को गंभीरता से देखा जाना चाहिए।’’
न्यायाधीश ए राधाकृष्णन की एक रिट याचिका का निपटारा कर रहे थे, जिन्होंने 2016 से दिसंबर 2021 तक किए गए उनके अभ्यावेदन पर विचार करके कृष्णागिरी जिले के विभिन्न तालुकों में सात मंदिरों की संपत्तियों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया था।
न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा दस्तावेजों और सबूतों से जुड़े लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और बड़े पैमाने पर लगे आरोप इस अदालत की अंतरात्मा को झकझोरने वाले हैं।
भाषा
देवेंद्र अनूप
अनूप

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