तमिलनाडु में विपक्ष ने सुरक्षा कर्मी की हिरासत में मौत की जांच सीबीआई से कराने की मांग की
तमिलनाडु में विपक्ष ने सुरक्षा कर्मी की हिरासत में मौत की जांच सीबीआई से कराने की मांग की
चेन्नई, एक जुलाई (भाषा) तमिलनाडु में विपक्षी दलों ने शिवगंगा जिले में स्थित एक मंदिर के सुरक्षा गार्ड की हिरासत में मौत को लेकर सत्तारूढ़ द्रमुक पर दबाव बढ़ाते हुए मामले की सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग की।
वहीं, राज्य सरकार ने इस मामले में जिला पुलिस प्रमुख सहित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
मदुरै स्थित मद्रास उच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष भी यह मामला उठाया गया। पीड़ित के वकील ने संवाददाताओं को बताया कि अदालत के समक्ष एक वीडियो प्रस्तुत किया गया है जिसमें कथित तौर पर सादे कपड़े पहने हुए पुलिसकर्मी पीड़ित अजित कुमार पर हमला करते हुए नजर आ रहे हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया कि इस घटना में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि मामले में कार्रवाई पहले ही शुरू कर दी गई है।
राज्य के मुख्य विपक्षी दल ऑल इंडिया अन्नाद्रमुक मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) ने हिरासत में हुई मौत के मामले की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की मांग करते हुए कहा कि लोगों का राज्य की पुलिस से भरोसा उठ गया है।
अन्नाद्रमुक प्रमुख एवं विपक्ष के नेता ए. के. पलानीस्वामी ने घटना को लेकर स्टालिन की निंदा की और कहा कि ‘‘जनता और हमें’’ इस मामले में मुख्यमंत्री के ‘‘नाटक’’ पर विश्वास नहीं है।
खबरों का हवाला देते हुए पलानीस्वामी ने दावा किया कि सुरक्षा गार्ड अजित कुमार की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके शरीर पर चोटों का खुलासा हुआ है। उन्होंने इसे ‘‘पुलिसिया अत्याचार के कारण हुई हत्या’’ करार दिया।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, ‘‘कुछ समाचार संस्थाएं आपके नाटक पर यकीन कर सकते हैं जैसे कि समीक्षा बैठक आयोजित करना या यह मामला सीबीआई-सीआईडी को सौंपना। चाहे लोग हों या हम, इस नाटक पर यकीन नहीं कर सकते हैं।’’
पलानीस्वामी ने आरोप लगाया कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेतृत्व वाले शासन में लोग सुरक्षित नहीं हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को पुलिस की फर्जी प्राथमिकी में कोई भरोसा नहीं है। इसलिए यह मामला सीबीआई को भेजा जाना चाहिए।’’
पलानीस्वामी ने घटना के लिए मुख्यमंत्री को भी ‘‘जिम्मेदार’’ ठहराया और जवाब मांगा।
अन्नाद्रमुक के कार्यकर्ताओं ने राज्य के विभिन्न शहरों में प्रदर्शन किया और पीड़ित के लिए न्याय की मांग की। उन्होंने तख्तियां पकड़ी हुई थीं जिन पर लिखा था ‘‘अजित कुमार के लिए न्याय।’’
अभिनेता और तमिलगा वेत्री कषगम (टीवीके) नेता विजय ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल के गठन की मांग की।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा कि अजित कुमार की मौत को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष नैनार नागेन्द्रन ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को पत्र लिखकर अजित कुमार की हिरासत में मौत होने के मामले और तमिलनाडु में इसी तरह की घटनाओं की जांच की मांग की।
इस बीच यहां एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि सुरक्षा गार्ड की मौत के संबंध में कार्रवाई की गई है।
उन्होंने घटना के संबंध में शिवगंगा के जिला पुलिस प्रमुख को सरकार द्वारा ‘‘अनिवार्य प्रतीक्षा’’ में रखे जाने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कार्रवाई की गई है, गिरफ्तारियां की गई हैं… उच्च अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है।’’
तमिलनाडु सरकार ने इस मामले में शिवगंगा के जिला पुलिस प्रमुख को मंगलवार को ‘‘अनिवार्य प्रतीक्षा’’ पर रखा है, जबकि घटना के संबंध में पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है।
गृह विभाग के एक पत्र में कहा गया है कि आशीष रावत, आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा), पुलिस अधीक्षक, शिवगंगा को ‘‘पुलिस महानिदेशक/एचओपीएफ (पुलिस बल प्रमुख), तमिलनाडु, चेन्नई के कार्यालय में अनिवार्य प्रतीक्षा पर रखा गया है।’’
अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरज कुमार की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि जी. चंदीश, आईपीएस, एसपी रामानाथपुरम अब शिवगंगा का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे।
शिवगंगा के तिरुप्पुवनम के सुरक्षा गार्ड अजित कुमार को स्थानीय पुलिस ने पहले चोरी के एक मामले में पकड़ा था। बाद में हिरासत में उसकी मौत से काफी आक्रोश पैदा हो गया और राजनीतिक दलों ने इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना की थी।
घटना के संबंध में पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है।
सोमवार देर रात जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि 28 जून को छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस मामले की उचित जांच शुरू की गई और सोमवार रात को पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ‘‘बिना कोई देरी किए’’ आगे की कार्रवाई शुरू की गई।
इसके बाद, मामले में हत्या के आरोप दर्ज किए गए और ‘‘इसमें शामिल पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया।’’
इस बीच, राज्य के कानून मंत्री एस. रघुपति ने कहा कि मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि घटना में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने पुदुकोट्टई में इस मामले के संबंध में संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसी को भी सुरक्षा देने की कोई बाध्यता नहीं है।’’
मुदरै स्थित उच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष पीड़ित पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
भाषा
मामले में न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं।
प्रीति पवनेश
पवनेश

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